अपने इंतखाबी मंशूर में कांग्रेस ने कहा है कि इक्तेदार में आने पर बिहार में शराबबंदी की समीक्षा की जायेगी.
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नई दिल्ली/शाहबाज़ अहमद : बिहार असेंबली चुनाव में महज एक हफ्ते का वक्त बाकी रह गया है. सभी पार्टियों ने अपने अपने चुनावी मैनिफेस्टो जारी कर दिए है. कोई रोजगार देने का वादा कर रहा है तो कोई सरकारी नौकरी. किसी के मेनीफेस्टो में बिहार की तरक्की की बात हो रही है. तो कोई ख्वातीन के तहफ्फुज़ को यकीनी बनाने का दम्भ भर रहा है. ऐसे में अज़ीम इत्तेहाद यानी महागठबंधन का हिस्सा कांग्रेस पार्टी ने भी बुध को अपना बदलावपत्र जारी किया, जिसमें कई बड़े वादे किए गए. इन्हीं से कांग्रेस पार्टी का तरफ से एक वादा शराबबंदी को लेकर किया गयै है. जो इस वक्त चर्चा का मौज़ू बना हुआ है. अपने इंतखाबी मंशूर में कांग्रेस ने कहा है कि इक्तेदार में आने पर बिहार में शराबबंदी की समीक्षा की जायेगी.
शराबबंदी से रेवेन्यू को नुकसान: कांग्रेस
आपको याद होगा, बिहार में शराबबंदी के दौरान मानवश्रृंखला बनाई गई थी. जिसको लेकर लोगों ने इस बात का ख़ैरमकदम भी किया था.तो वहीं नीतीश ने भी इसे अपनी हुसूलयाबियों (उपलब्धियों) में शुमार किया था. लेकिन कांग्रेस का कहना है कि शराबबंदी से सूबे के रेवेन्यू को नुकसान हुआ है. क्योकि सरकार ने जिस मकसद से इसे नाफिज़ किया था. वो उस मकसद से भटक गई. जिसके सबब सूबे में गैर कानूनी कारोबार हो रहा है. और इसका सीधा फायदा पुलिस को हो रहा है.. क्योकि सूबे की अवाम अभी भी इससे परेशान है. ऐसे में जब आरजेडी की कयादत में कांग्रेस पार्टी इक्तेदार (सत्ता) में आयेगी. तो इसकी सही से समीक्षा की जाएगी. अब चूंकि चुनावी सीज़न है और इस वक्त में बिहार के कई इलाकों में शराब पकड़े जाने की भी खबरे आई है, जो कि नीतीश कुमार के इस फैसले के अमल करने पर सवाल खड़े करती है.
शराबबंदी पर एलजेपी उठा चुकी सवाल
उधर कांग्रेस के अलावा लोक जनशक्ति पार्टी के लीडर चिराग पासवान ने भी बुध को शराबबंदी पर सवाल उठाए थे. चिराग ने कहा था कि क्या सिर्फ शराबबंदी करने से ही महिला सशक्तिकरण हो गया है. शराबबंदी का फैसला सही तरीके से नाफिज़ नहीं हुआ है.