भवानीपुर उपचुनाव में ममता बनर्जी के खिलाफ कांग्रेस नहीं उतारेगी अपना उम्मीदवार
भवानीपुर उपचुनाव में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारने का वादा करने के एक दिन बाद ही कांग्रेस ने अपने फैसले पर यू-टर्न ले लिया.
कोलकाताः भवानीपुर उपचुनाव में मगरबी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारने का वादा करने के एक दिन बाद कांग्रेस ने यू-टर्न ले लिया और कहा कि पार्टी तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो के खिलाफ किसी को खड़ा नहीं करेगी. मगरबी बंगाल के कांग्रेस सदर अधीर रंजन चौधरी ने बहरामपुर में नामानिगारों से कहा कि एआईसीसी की हिदायत के मुताबिक, कांग्रेस 30 सितंबर को होने वाले उपचुनाव से पहले न तो बनर्जी के खिलाफ कोई उम्मीदवार उतारेगी और न ही उनके खिलाफ प्रचार करेगी. कांग्रेस हाईकमान के इस फैसले से बंगाल कांग्रेस के एक बडे़ वर्ग में जहां निराशा है, वहीं दूसरी जानिब तृणमूल ने इस फैसले का स्वागत किया है.
कांग्रेस ने कहा था, ममता के खिलाफ उतारेंगे उम्मीदवार
इससे पहले चौधरी ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा था कि कांग्रेस भवानीपुर में बनर्जी के खिलाफ उम्मीदवार उतारेगी, उनका दावा था कि पीसीसी के ज्यादातर सदस्य इस तरह के फैसले की हिमायत में हैं. हालांकि पार्टी ने अपने किसी नेता का नाम नहीं बताया था कि आखिर ममता के खिलाफ वह किसे मैदान में उतारेगी?
माकपा उतारेगी अपना प्रत्याशी
एआईसीसी के फैसले पर रद्देअमल देते हुए, माकपा नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि हम एक उम्मीदवार को मैदान में उतारेंगे क्योंकि टीएमसी और भाजपा के खिलाफ एक विकल्प की जरूरत है. हम कांग्रेस को अपना फैसला बदलने के लिए नहीं कह सकते. वाममोर्चा ने माकपा के श्रीजीब बिश्वास ममता के खिलाफ उम्मीदवार बनाया है.
तृणमूल का गढ़ है भवानीपुर विधानसभा सीट
गौरतलब है कि भवानीपुर को ममता का गढ़ माना जाता है. ममता ने 2011 और 2016 में यहीं से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीता था. पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने नंदीग्राम से सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ लड़ा था, जो विधानसभा चुनाव से पहले ही तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. तृणमूल ने भवानीपुर सीट पर पार्टी के कद्दावर नेता शोभनदेव चट्टोपाध्याय को खड़ा किया था, जिन्होंने भाजपा के रुद्रनील घोष को करीब 30,000 वोटों के अंतर से हराया था. नंदीग्राम में सुवेंदु से हार के बाद ममता के लिए मुख्यमंत्री पद पर बने रहने को किसी अन्य सीट से जीतना जरूरी है इसलिए उन्होंने फिर से अपने पुराने किले से चुनाव लड़ने का फैसला किया है. उनके लिए शोभनदेव विधायक पद से इस्तीफा दे चुके हैं.
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