जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से धारा 370 खत्म होने के बाद वादी में किस तरह हालात बदल रहे हैं? नए निजाम की दस्तक से हौसलों ने किस तरह उड़ान भरी है? जी सलाम के खास प्रोग्राम "नया सवेरा" #NayaSavera के मंच से उन जिम्मेदार हस्तियों ने बातें कीं जिनके कंधों पर सियासत के मुस्तकबिल की कमान है. इसी क्रम में वक्फ काउंसिल की चेयरपर्सन दरख्शां अंद्राबी ने अपनी बात रखीं.
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जम्मू: ज़ी सलाम के खास प्रोग्राम "नया सवेरा" में वक्फ काउंसिल की चेयरपर्सन दरख्शां अंद्राबी ने जम्मू-कश्मीर की महिलाओं के हुकूक पर खुल कर अपनी बात रखीं. दरख्शां अंद्राबी ने कहा कि वादी में महिलाएं तमाम फिल्ड्स में आगे बढ़ रही हैं. लेकिन अब आगे बढ़ना और आसान हो गया है. हालात बदल रहे हैं.
रियासत में अब हर तरफ तिरंगा ही तिरंगा नज़र आता है
दरख्शां अंद्राबी ने कहा कि एक वक्त था जब हम जम्मू-कश्मीर में अकेले तिरंगा लिए खड़े थे और हमारी पार्टी (सोशलिस्टिक डेमोक्रेटिक पार्टी) का भी यही नारा था हम हिंदुस्तान से हैं और हिंदुस्तान हम से है. हमारे लिए मुश्किलें बहुत थीं. हमने कांटों पर कदम रखा था लेकिन अल्लाह ने उन कांटों को गुलिस्तान में तबदील कर दिया. इस समय हर किसी के हाथ में तिरंगा ही तिरंगा है. इससे बढ़कर हमारे लिए खुशी का क्या मुकाम हो सकता है कि रियासत के हर कोने में वही तिरंगा है जिस तिरंगे के साथ हम चले थे और हमें दूसरी निगाह से देखा जाता था.
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उन्होंने कहा कि हम यह नहीं कह सकते कि हमारे सेक्रेट्रेट पर कोई तिरंगा नहीं था, हम यह नहीं कह सकते के 15 अगस्त या 26 जनवरी को तिरंगा नहीं लहराते थे लेकिन एक मिडिल क्लास परिवार से संबंध रखने वाली एक आम लड़की जिसका कोई इतिहास सियासत में नहीं है, वो सियासत में आईं और दूसरी भाषा में बात कर रही हैं. तो उसको कुबूल करवाना उस समय कश्मीर में मुश्किल था. हम जम्मू आए तो यहां के लोगों और मीडिया ने हमें बहुत सराहा.
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जम्मू-कश्मीर के लोगों की सोच हमेशा लिबरल रही है
उसके अलावा डीडीसी चुनावों में आजाद उम्मीदवार के तौर पर फतह हासिल करने वाली सफीना बेग ने एक सवाल के जवाब में बताया कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की सोच हमेशा लिबरल रही है. 30 साल के कंफिक्ट के बावजूद हमेशा हमारी बच्चियां अलग-अलग शोबों में बहुत अच्छा किया है लेकिन पूरे देश की सियासत में बहुत कम हिस्सेदारी है.
उन्होंने बताया कि लोकसभा में 10 फीसद और राज्यसभा में 11 फीसद मिलेंगे. उन्होंने बताया कि यह बहुत चैलेंजिंग प्रोफेशन है और कितने भी लिबरल लोग क्यों न हों, अपनी बच्चियों को सियासत में आने से रोकते हैं, क्योंकि यह बेहद मेल डोमिनेटिंग प्रोफेशन है. दूसरा कुछ लोग इसको फालतू सोचते हैं.
जितना कश्मीरी नेशनलिस्ट है, मुझे लगता है कि उतना मुंबई वाला भी नहीं
उन्होंने आगे कहा कि मैं सभी हिंदुस्तानी भाइयों को यह कहना चाहती हूं कि हमने मुस्लिम मैजोरिटी स्टेट होने के बावजूद दो नेशन थ्योरी को रिजेक्ट किया और भारत को अपनाया. इसलिए कोई हमें यह कहे कि कश्मीरी नेशनलिस्ट नहीं हैं, तो हम मानने के लिए तैयार नहीं है. जितना कश्मीरी नेशनलिस्ट है, मुझे लगता है कि उतना मुंबई वाला भी नहीं होगा.
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