ZEE सलाम के एडिटर दिलीप तिवारी और जी पंजाब हरियाणा हिमाचल एसोसिएट एडिटर जगदीप संधू ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से कृषि कानूनों और किसानों के मुद्दे पर विस्तार से बातचीत की. पढ़िए यह Exclusive Interview
Trending Photos
)
केंद्र सरकार की तरफ से सितंबर 2020 में लाए गए कृषि कानूनों के विरोध किसान दिल्ली बॉर्डर पर बीते 51 दिन से आंदोलन कर रहे हैं. इस बीच सरकार और किसानों के बीच 9वें दौर की बातचीत भी बिना किसी नतीजे पर पहुंचे खत्म हो गई. अब दोनों पक्षों में अगले दौर की वार्ता 19 जनवरी को करने पर सहमति बनी है. इस बीच जी सलाम के एडिटर दिलीप तिवारी और जी पंजाब हरियाणा हिमाचल के एसोसिएट एडिटर जगदीप संधू ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से कृषि कानूनों और किसानों के मुद्दे पर विस्तार से बातचीत की. पढ़िए यह Exclusive Interview...
दिलीप तिवारीः अरविंद जी आप इतना कह रहे हैं कि चंद पूंजिपतियों की बात सुन रही है सरकार और लाखों करोड़ों किसानों की नहीं सुन रही. किसान संविधान भी समझा सकता है, किसान अपनी बात भी रख सकता है या वो किसी के बरगलाने में नहीं आएगा. लेकिन आपसे पूछूं तो आपके पास एक मुख्यमंत्री के तौर पर, एक राजनेता के तौर पर, एक साधारण नागरिक होने के तौर पर किसानों की समस्याओं का समाधान आखिर क्या है? अगर हम हिंदुस्तान की आबादी के हिसाब से देखें, जमीन के हिसाब से देखें तो आज भी 60 से 70 फीसदी लोग खेती पर निर्भर हैं. लेकिन हमने उसको फायदे का सौदा कब बनाया. जब भी किसान से बात करें, आपकी पार्टी पंजाब में भी बहुत एक्टिव है, बाकी स्टेट्स में भी आपकी पार्टी एक्टिव है. आपने खुद कहा था कि अगर आपको स्वामी नाथन रिपोर्ट का, जैसे आपने जिक्र किया तो वायबिलिटी कैसे आएगी, किसान कैसे जिंदा रहेगा? चाहे वो मौसम की मार हो या दुनिया भर की और दिक्कतें उनके सामने हैं. बीज की, खाद की. तमाम मुश्किलें होती हैं, उनको झेलते हुए भी कैसे बचेगा, क्या रास्ता है?
केजरीवालः जो किसान हैं दो बातें कह रहे हैं. उनका समाधान किसानों ने उसी में डाला है. इसी वजह से मुझे इस किसान आंदोलन से बहुत बड़ी उम्मीद है. मुझे उम्मीद है कि एक तो ये तीनों कानून वापस हों, एमएसपी की गारंटी का कानून लाया जाए. एमएसपी स्वामी नाथन रिपोर्ट के हिसाब लागत के डेढ़ गुना के हिसाब से एमएसपी तय की जाए. अगर ये आ गया तो दिलीप जी यह 70 सालों में सबसे बड़ा क्रांतिकारी कदम होगा. कृषि के क्षेत्र में किसान कोई भीख नहीं मांग रहा. किसान कह रहा है कि मुझे अपनी फसल का पूरा दाम चाहिए. उद्योगपतियों से जब बात करती है सरकार तो उनको भी तो प्रॉफिट देती है ना. तो किसान कह रहा है कि मुझे मेरी फसल का दाम दे दो. अगर आपने उसको एमएसपी की गारंटी दे दी तो किसान लोन लेना बंद कर देंगे. किसान आत्महत्या करना बंद कर देंगे. यह एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी कदम होगा.
जगदीप संधूः आप एमएसपी की बात कर रहे हैं. किसान जो हैं उनकी सबसे बड़ी मांग एमएसपी को लेकर ही है. मनोज तिवारी जो सांसद हैं भाजपा के, उनका कहना है कि दिल्ली में एमएसपी नहीं मिलती इसलिए जो आपके किसान हैं हरियाणा जाकर अपनी फसल बेचते हैं, इसमें क्या सच्चाई है?
केजरीवालः बिल्कुल गलत बोल रहे हैं. अगर दिल्ली में एमएसपी नहीं होती तो दिल्ली के किसान मेरे घर के बाहर बैठे होते. दिल्ली के किसान मुझसे नाराज होते. दिल्ली के किसान मुझसे मांग कर रहे होते. दिल्ली के किसानों की एक मांग थी, जैसे ही मेरी सरकार बनी 2015 फरवरी में, अप्रैल के महीने में मेरे पास किसान आए थे. दिल्ली के अंदर बारिश हो गई बहुत ज्यादा, ओले पड़ गए और उनकी फसलें बर्बाद हो गईं. वो आए थे कि हमको मुआवजा दो हमने 50 हजार रुपये हेक्टेयर के हिसाब किसानों को मुआवजा दिया था. जो आज तक भारत का सबसे ज्यादा मुआवजा है.
उसके बाद हमने पॉलिसी बना दी, योजना बना दी हर साल के लिए कि अगर किसान की फसल बर्बाद होगी तो उसको यह मुआवजा दिया जाएगा. दिल्ली में बहुत कम किसान हैं, मतलब 1600 एकड़ के करीब भूमि पर खेती होती है. आप कंपेयर कीजिए पंजाब में मेरे ख्याल से करीब 27 लाख एकड़ जमीन खेती के अंडर में है. यहां 1600 एकड़ के करीब जमीन खेती के अंडर में है. इसमें धान उगाई जाती है. इतना ज्यादा अंतर है. दिल्ली के अंदर यह डिमांड होती है और वे कहते कि जी हमें पूरा दाम नहीं मिल रहा. जो उनकी मांग होती वो मैं पूरी करता. आखिर में हम उनसे हैं, वो हमसे नहीं हैं.
दिलीप तिवारीः अरविंद जी कई बार आपके विरोधी ये चुटकियां लेते हैं कि आप जिस प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं वह दिल्ली है और वहां लोग गमलों में खेती कर रहे हैं. जैसे आपने कहा कि किसान कम हैं, 1600 एकड़ भूमि में खेती होती है. विरोधी कहते हैं कि अरविंद जी हमको क्यों बता रहे हैं कि किसानों के लिए क्या करना चाहिए. चाहे वो यूपी की बात करें या पंजाब की बात करें. चूंकि आप मुख्यमंत्री हैं, चाहे 1600 एकड़ के किसान ही हों लेकिन हैं तो किसान. जब आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी तो सॉलिसिटर जनरल कहते हैं कि आपके वकील ऐसा बर्ताव कर रहे हैं कि वह दिल्ली सरकार की तरफ से नहीं बल्कि किसानों की तरफ से हैं?
केजरीवालः यह हमारे लिए कॉम्प्लिमेंट है. अगर केंद्र सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में यह कहा कि दिल्ली सरकार का वकील ऐसे व्यवहार कर रहा है कि जैसे वी किसानों का वकील है, तो मेरे लिए इससे बड़ा तमगा नहीं हो सकता. मुझे अपने वकील पर गर्व है कि उसने जो भी दलील दी हमारे देश के किसानों के लिए दी. दूसरा जो आपका कहना है कि मैं ऐसे राज्य का मुख्यमंत्री हूं जहां बहुत कम किसान हैं, मुझे किसानी का क्या पता. मैं मुख्यमंत्री बाद में हूं पहले इस देश का नागरिक हूं. इस देश का किसान दुखी है. इस देश का जवान दुखी है तो सबसे पहले पीड़ा मेरे भी मन में होती है.
दिलीप तिवारीः आपने एक वादा किया था पंजाब के मैनिफेस्टो में कि अगर हमारी सरकार बनी पंजाब में तो हम स्वामी नाथन रिपोर्ट को लागू करेंगे. मैं आपसे यह पूछना चाहता हूं कि हिंदुस्तान की तमाम सियासी पार्टियां, आपको शायद याद नहीं होगा और मैं तमाम पार्टियों को कवर करने वाला पत्रकार हूं. चाहे वो भाजपा हो, कांग्रेस हो या लेफ्ट हो मैंने सब को कवर किया है. मैं इस तरह से आप से जानकारी चाहता हूं कि संसद का विशेष सत्र केवल किसानों के मुद्दे के लिए बुला लिया जाए और हम किसानों के मुद्दे पर चर्चा कर लें. ऐसा कभी संभव होगा?
केजरीवालः बिल्कुल संभव है. संभव क्यों नहीं है. चर्चा भी होनी चाहिए और चर्चा के बाद निर्णय भी होना चाहिए. बात चर्चा तक सीमित न रहे. स्वामी नाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होनी चाहिए. एमएसपी पर फसलों की खरीद की गारंटी दी जानी चाहिए. मैं एक कदम आगे बढ़कर आपको कर रहा हूं कि अभी अखबरों में मैंने पढ़ा कि जब किसान केंद्र सरकार से बात करने के लिए गए तो शायद केंद्र सरकार ने ऐसा बोला कि भाई एमएसपी पर 23 की 23 फसलों की खरीद कैसे कर सकते हैं. इसपर खर्चा बहुत आएगा. इतना पैसा कहां से आएगा. यही बोल रही है ना केंद्र सरकार. तो आपके चैनल के जरिए मैं केंद्र सरकार को फार्मूला बता देता हूं कि पैसा कहां से आएगा.
अखबरों के मुताबिक केंद्र सरकार का कहना है कि 17 लाख करोड़ रुपये एमएसपी देने के लिए चाहिए होंगे. अगर 23 की 23 फसलों की एमएसपी दी जाए तो. केंद्र सरकार को 17 लाख करोड़ रुपये चाहिए, 17 लाख करोड़ कहां से आएंगे? किसान आपसे फ्री में नहीं मांग रहा 17 लाख करोड़. किसान आपको बदले में फसल दे रहा है. जब वह आपको फसल देगा तो आप उसको मार्केट में बेचोगे ना. जब आप बेचोगे तो आपको बदले में 17 की बजाए 18 लाख करोड़ मिल जाएं, हो सकता 19 लाख करोड़ मिल जाएं और हो सकता 16 लाख करोड़ भी मिल जाएं. तो आपको किसी साल में लाख दो लाख करोड़ का घाटा भी हो सकता है, किसी साल में फायदा भी हो सकता है.
5 साल, 10 साल के अंदर इवन आउट हो जाएगा. आपका किसी साल में मुनाफा होगा तो किसी साल में नुकसान होगा. तो यह दिया जा सकता है, किया जा सकता है.किसानों की फसलों के ऊपर एमएसपी दिया जा सकता है. डेटा बताता है कि पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकार ने 8 लाख करोड़ रुपये पूंजिपतियों का लोन माफ कर दिया. अगर आप 8 लाख करोड़ रुपये पूंजिपतियों का लोन माफ कर सकते हैं तो किसानों के लिए भी तो थोड़ा बहुत कर सकते हैं. एमएसपी पर उनकी फसलें उठा सकते हैं. मैंने आपको फार्मूला बता दिया कि 17 लाख करोड़ रुपये का खर्चा नहीं करना आपको, 17 लाख करोड़ रुपये रोटेटिंग मनी है. इनवेस्टमेंट करनी है, किसी भी बैंक से लोन ले लीजिए और फसल उठाइए पैसा वापस आ जाएगा.
दिलीप तिवारीः 51 दिन हो गए हैं, किसान पंजाब से निकले थे. उन्हें हरियाणा में भी रोकने की कोशिश की गई, बहुत सारे किसानों पर केस भी बने. आपकी पार्टी का कहना है कि सभी किसानों को लीगल हेल्प देंगे, लेकिन पंजाब के किसानों का कहना है कि जब चुनाव होता है तो आप लीगल हेल्प की बात करते हैं और चुनाव के बाद आप माफी मांग लेते हैं. केस बीच में ही छोड़कर चले जाते हैं?
केजरीवालः समझ नहीं आ रहा. कैप्टन साहब रोज सुबह उठते हैं और ब्रश करने से पहले मुझे गाली जरूर दे देते हैं. मैं ट्विटर पर देखता हूं, रोज मुझे एक गाली दे देते हैं. रोज अपनी बंदूक मुझ पर तान देते हैं.
दिलीप तिवारीः कैप्टन अमरिंदर सिंह को आप से विशेष स्नेह होगा.
केजरीवालः मुझे भी लगता है कि कैप्टन साहब को विशेष प्यार है. मैं पूरी विनम्रता के साथ कैप्टन साहब को कहना चाहता हूं कि ये तीनों कानून मैंने नहीं पास किए हैं. ये आपने और केंद्र में बैठे आपके दोस्तों ने पास किए हैं. इन कानूनों को बनाया किसने, लिखा किसने, ड्राफ्ट किसने किया? आप दोनों पत्रकार हैं. बड़े सीनियर पत्रकार हैं, आपको भी पता होगा कि प्रधानमंत्री जी ने कमेटी बनाई थी इस कानून को ड्राफ्ट करने के लिए. उस कमेटी में 4.5 राज्यों के मुख्यमंत्री थे. अगस्त 2019 में उस कमेटी की मीटिंग हुई थी. उन मुख्यमंत्रियों की मीटिंग हुई थी. उनमें से एक कैप्टन साहब भी थे, जिन्होंने ये तीनों कानून ड्राफ्ट किए थे केंद्र सरकार के लिए. उस कमेटी की मीटिंग में कैप्टन साहब खुद नहीं जा पाए थे, शायद बीमार थे.
उन्होंने मनप्रीत सिंह बादल को भेजा था, जिसमें यह तीनों काले कानून बनाए गए थे. मनप्रीत बादल ने मुख्यमंत्री को बताया होगा कि तीनों कानून बन गए. मैं पूछना चाहता हूं कि उस कमेटी के अंदर उन्होंने विरोध क्यों नहीं किया कानूनों का. बाहर निकल उन्होंने जनता को क्यों नहीं बताया कि ऐसे कानून बन रहे हैं, सारे जने खड़े हो जाओ. ये कानून पास नहीं होते. उस टाइम तो ये मिल गए केंद्र सरकार के साथ. जब कानून पास हो गए, जनता खड़ी हो गई, अब ये लोग विरोध करने का नाटक कर रहे हैं.
जब किसान दिल्ली आकर बैठ गए तो ये अमित शाह जी से मिलने किस लिए आए थे दिल्ली? जनता पूछ रही है पंजाब की. पूछ रही है या नहीं पूछ रही है. मैं नहीं कह रहा, लोगों का कहना है कि उनके बेटे के खिलाफ ईडी के कुछ केस चल रहे हैं. उन्होंने कहा होगा कि तुम किसानों को ठोका करो, हमें मत ठोका करो. ऐसा ही कहा होगा उन्होंने. हम तुम्हारे बेटे को संभाल लेंगे.
दिलीप तिवारीः आपको लगता है कि केंद्र सरकार और पंजाब के मुख्यमंत्री के बीच क्या डील है?
केजरीवालः जाहिर है. ये मैं नहीं कह रहा जनता कह रही है. मुझे ये आश्चर्य हुआ कि मैं अपने किसानों से मिलने सिंघु बॉर्डर पर जा चुका हूं. लेकिन कैप्टन साहब दिल्ली आए, अमित शाह जी से मिले, थोड़ा गाड़ी को घुमाकर सिंघु बॉर्डर भी चले जाते. पंजाब के लोग बैठे थे वहां. उनसे भी मिल लेते. दुआ सलाम कर लेते उनसे, नहीं मिलने गए. इधर अमित शाह जी से मिले और सीधे हवाई जहाज में बैठकर वापस चले गए. लोग जब यह प्रश्न पूछ रहे हैं तो जाहिर बात है, उनकी हिम्मत तो है नहीं केंद्र सरकार को गाली देने की. इसलिए रोज सुबह.सबह उठकर मुझे गालियां देते हैं.
दिलीप तिवारीः आपने कहा कि इस तरह के सवाल लोग कर रहे हैं कि पंजाब में ईडी के चंगुल से बेटे को निलना है और किसान बिल के सपोर्ट में खुद ही थे. उन्होंने खुद ही मनप्रीत बादल को भेजा अपनी जगह. लेकिन अकाली दल कहता है कि इसमें मिली भगत सबकी है. हम तो सरकार छोड़कर वापस आ गए. कैप्टन कहते हैं कि हरसिमरत बादल तो कैबिनेट में रही हैं और संसद में विरोध करना चाहिए था उनको.
केजरीवालः बिल्कुल, ऑर्डिनेंस जब पास हुआ उस वक्त हरसिमरत जी कैबिनेट में थीं. जब संसद में बिल लाया गया तब हरसिमरत बादल जी कैबिनेट में थीं. तबके हरसिमरत बादल के कई सारे वीडियो हैं, जिसमें वो इन कानूनों की खूबियां बता रही हैं. सरकार छोड़ने के पहले के वीडियो. कैबिनेट में दोबारा पास करवाया इन्होंने. फिर जब लोकसभा में पास हो गया तब भी वो सरकार में थीं. जब राज्यसभा में पास हो गया तब भी वो सरकार में ही थीं. जब सारा पास करा लिया, लागू हो गया तब ये लोग सरकार छोड़ने की नौटंकी कर रहे हैं. जाहिरी तौर पर जनता यह सवाल तो पूछती ही है. मैं आपको बताता हूं कि हमारे किसान जब पंजाब से दिल्ली की ओर आ रहे थे, हरियाणा में जगह जगह उनको रोका जा रहा था. वॉटर कैनन छोड़े जा रहे थे उनके ऊपर, डंडे बरसाए जा रहे थे.
तब केंद्र सरकार ने षडयंत्र रचा था इन किसानों के आंदोलन को खत्म करने का. षडयंत्र ये था कि जैसे ही किसान दिल्ली के अंदर घुसेंगे उनको गिरफ्तार कर स्टेडियम में बने जेल में भेज देंगे. दिल्ली के 9 स्टेडियम इन्होंने चिन्हित किए थे, जिन्हें जेल बनाते और किसानों को उनमें रखते. फिर पड़ा रहे किसान 9 स्टेडियम्स में. एक साल पड़े रहें या 2 साल पड़े रहें. अंदर किसी को जाने नहीं देना था. ओपन जेल बन जाती एक तरह से.
उन्होंने फाइल हमारे पास भेजी दिल्ली के 9 स्टेडियम को जेल बनाया जाए. दिलीप जी हमारे ऊपर बहुत प्रेशर आए, हमें बहुत फोन कॉल आए कि यह कर दो. लेकिन हम केंद्र सरकार के सामने झुके नहीं. हमने किसानों के साथ समझौता नहीं किया. हमने फाइल रिजेक्ट की और किसानों के आंदोलन को मजबूती दी. आज किसान बैठे हैं, मुझे गर्व है कि मैंने उस फाइल को रिजेक्ट कर दिया था. कैप्टन साहब नहीं कर सकते थे जब वह इस कमेटी अंदर बैठे थे. उस वक्त नहीं कह सकते थे कि मैं इन तीनों कानूनों को नहीं मानता.
दिलीप तिवारीः केजरीवाल साहब जो अकाली दल के नेता हैं सुखबीर बादल, हरसिमरत कौर बादल कहते हैं कि हमने तो किसानों के हित में केंद्र सरकार में मंत्री की कुर्सी कुर्बान कर दी. सबसे बड़ा टुकड़े.टुकडे गैंग इस देश में भाजपा है, अब ये कह रहे हैं. तो ये उनका हृदय परिवर्त न हुआ है या उनको लगता है कि आप लोग फायदा न उठाकर ले जाएं?
केजरीवालः सभी देख रहे हैं कि कैसे नूरा कुश्ती हो रही है भाजपा और अकाली दल के बीच में. सब कुछ बिल पास करा दिए. कैबिनेट में पास कराने के बाद कुर्सी छोड़ने का नाटक करते हैं क्योंकि चुनाव पास आ रहे हैं. मुझे यह लगता है कि यह समय ऐसा है कि इस देश के जनता बड़ी समझदार है, जनता देखती है और समझ जाती है कि कौन किसके साथ है और कौन कहां खड़ा है.
Interview का दूसरा पार्ट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें:
ZEE SALAAM LIVE TV