अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरी दिव्यांश की तारीफ पीएम मोदी ने क्यों की? दरअसल, अपनी इस बहादुरी के लिए बाराबंकी के रहने वाले दिव्यांश को वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया.
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अवनीश श्रीवास्तव/बाराबंकी: 30 जनवरी 2018 को 13 साल का कुंवर दिव्यांश अपनी बहन के साथ स्कूल से लौट रहा था. दोनों मस्ती में घर को तरफ जा रहे थे. तभी शहर के बस अड्डे के पास दिव्यांश की बहन की जान खतरे में आ गई. दिव्यांश ने बिना कुछ सोचे, अपनी बहन को बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डाल दी. इस बाहदुरी को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी उसकी जमकर तारीफ की.
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अब आप सोच रहे होंगे कि आखिरी दिव्यांश की तारीफ पीएम मोदी ने क्यों की? दरअसल, अपनी इस बहादुरी के लिए बाराबंकी के रहने वाले दिव्यांश को वीरता पुरस्कार के लिए चुना गया. पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिग के ज़रिए दिव्यांश से बात की और बाहदुरी के लिए शाबाशी भी दी.
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पीएम मोदी से मिली शाबासी के बाद दिव्यांश काफी खुश है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री के ज़रिए की गई उनसे सीधे बात से अंदर के नई ऊर्जा का संचार हुआ है. साथ में वह काफी गौरवाविंत महसूस कर रहे हैं. वहीं, दिव्यांश के परिवार का कहना है कि बेटे की इस उपलब्धि से सबका सिर ऊंचा हो गया है.
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कैसे बचाई थी बहन की जान
हुआ कुछ यूं था कि बस अड्डे पर दिव्यांश की 5 साल की बहन समृद्धि के पीछे सांड पड़ गया था. जब दिव्यांश की नजर उस तरफ गई, तो वह फौरन बहन को बचाने के लिए दौड़ा और अपने स्कूल बैग से ही सांड को मारने लगा लेकिन सांड भी हटने का नाम नहीं ले रहा था. यह सिलसिला काफी देर चलता रहा. हालांकि, अंत में दिव्यांश की बहादुरी के आगे सांड को ही हार माननी पड़ी.
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