आर्थिक सर्वेः इस राज्य की लगभग आधी आबादी है गरीबी रेखा के नीचे; बढ़ रहा कर्ज का बोझ
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आर्थिक सर्वेः इस राज्य की लगभग आधी आबादी है गरीबी रेखा के नीचे; बढ़ रहा कर्ज का बोझ


Economic Survey Jharkhand: प्रदेश में गरीबी और कर्ज बढ़ने के बावजूद साक्षरता दर में पिछले दो दशकों यानी 20 वर्ष में साक्षरता दर में 36 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.  

अलामती तस्वीर

रांचीः चालू वित्तीय वर्ष में झारखंड के ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट (जीएसडीपी) में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है. यह संभावना झारखंड विधानसभा में बुधवार को पेश आर्थिक सर्वे रिपोर्ट में जाहिर की गई है. राज्य के वित्त मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने रिपोर्ट पेश करते हुए सदन को बताया कि झारखंड का जीएसडीपी देश के जीडीपी का दो प्रतिशत से भी कम है.

विकास दर में गिरावट दर्ज की गई
वित्त मंत्री ने रिपोर्ट पेश करते हुए सदन को बताया कि पिछले दो वर्षों के दौरान विकास दर में गिरावट दर्ज की गई है. इसकी प्रमुख वजह कोविड के कारण उत्पन्न परिस्थितियों को बताया गया है. लॉकडाउन के दौरान कृषि, वानिकी, मछली उत्पादन, बिजली, गैस और जलापूर्ति को छोड़कर बाकी क्षेत्रों के उत्पादन मूल्य में कमी आई.

साक्षरता दर में 36 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी
रिपोर्ट में नीति आयोग की नेशनल मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स बेसलाइन रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया है कि राज्य में 46.0 प्रतिशत लोग गरीब है. ग्रामीण क्षेत्रों में बहुआयामी गरीबों का प्रतिशत 50.3 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में यह 15.26 प्रतिशत है. हालांकि रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य गठन के समय आधी आबादी ही साक्षर थी. लेकिन 2019-20 में लगभग यह आंकड़ा 73 प्रतिशत तक पहुंच गया. यानी पिछले 20 वर्ष में साक्षरता दर में 36 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई.

केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी कम
केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी कम होने से राज्य को इन दो वर्षों में करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा. साल 2019 -20 में आर्थिक मंदी के कारण केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी में 13.9 और साल 2020-21 में कोविड के कारण 4.3 प्रतिशत की कमी आई. अगर केंद्रीय करों में राज्य की हिस्सेदारी कम नहीं होती तो इन दो वर्षों में राज्य को 58636 करोड़ की राशि प्राप्त होती.

राज्य पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा
आर्थिक सर्वे रिपोर्ट से इस बात का भी खुलासा हुआ है कि राज्य पर कर्ज का बोझ लगातार बढ़ रहा है. बताया गया है कि 2015 से 2018 तक और इसके बाद 2020 - 21 में झारखंड के खजाने का घाटा 3 प्रतिशत से अधिक हो गया था. घाटे की वजह से कर्ज का बोझ बढ़ा. वर्ष 2013 - 14 में राज्य पर कुल कर्ज जीएसडीपी का लगभग 20 प्रतिशत था. 2015 - 16 में यह 27 फीसदी से ऊपर पहुंच गया.

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