नई दिल्ली: भारत के संत समाज और अन्य धार्मिक व सामाजिक संगठनों ने ZEEL का समर्थन किया है. संत समाज ने इन्वेस्को द्वारा ZEEL के गैरकानूनी तरीके से अधिग्रहण के प्रयास की निंदा करते हुए ज़ी टीवी के संस्थापक डॉ सुभाष चंद्रा के देश और धर्म हित में योगदान को सराहा है.  संत समाज ने इन्वेस्को की मंशा के खिलाफ बयान जारी करते हुए कहा, 'बीते एक महीने से हमें सभी मीडिया संस्थानों में प्रकाशित और प्रसारित खबरों के जरिए से यह जानकारी मिली कि ZEE Entertainment को कोई अन्य मीडिया कंपनी किसी एक शेयरहोल्डर के माध्यम से अधिग्रहण करने का प्रयास कर रही है. यह कोई विदेशी या देसी संस्थान हो सकता है. इस बारे में इन्वेस्को Invesco नामक निवेशक द्वारा किसी भी प्रकार की ट्रांसपेरेंसी नहीं दिखाई गई और ना ही कोई साक्ष्य प्रस्तुत किया गया.


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साधु समाज के आग्रह पर ZEE ने शुरू किया था 'जागरण'
संत समाज की तरफ से कहा गया है, 'हम सभी मानते और जानते हैं कि ZEE का भारत में जब पहली बार प्रसारण आरम्भ हुआ तब हमारे साधु समाज के आग्रह करने पर ‘जागरण’ नाम के कार्यक्रम का प्रसारण शुरू किया गया था. यह कार्यक्रम प्रतिदिन प्रसारित करने के बाद ही अन्य कार्यक्रम शुरू होते थे. यह ZEE की ही देन है कि देश के आज दर्जनों धार्मिक चैनल सभी धर्मों पर कार्यक्रम प्रसारित कर रहे हैं और इनका लाभ सभी को मिल रहा है.



'जनता की भलाई में ZEE सबसे अग्रणी'
संत समाज ने बयान में कहा, 'सम्पूर्ण देश ने पिछले 29 वर्षों में देखा है और सभी अनुभव करते हैं कि बहुत से सामाजिक और अन्य सभी विषयों में जहां भी आम जनता की भलाई हो या उनसे जुड़े किसी भी विषय का प्रचार एवं प्रसार करने की बात हो, उसमें ZEE सबसे आगे रहता रहता है. संत समाज ने कहा, यह ठीक है कि हमारा अधिकांश साधु समाज धार्मिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक कार्यक्रम का ही अवलोकन करते हैं. वे अन्य एंटरटेंमेंट के शो नहीं देखते हैं. हमारे अनुयायी हमें बताते हैं कि ZEE के सभी भारतीय भाषाओं के मनोरंजन चैनल पूरा परिवार साथ बैठ कर देखे जा सकते हैं जबकि अन्य चैनल मां-बेटा या पिता-पुत्री एक साथ बैठ कर नहीं देख सकते.


सुभाष चंद्रा जी के परिवार की देखरेख में रहे कंपनी
जारी बयान में कहा गया है कि हमने अपने अनुयायी परिवारों से (जो ZEE के शेयरहोल्डर हैं) उनकी क्या मंशा है पूछने पर लगभग 40 प्रतिशत लोगों ने बताया कि यह संस्थान सुभाष चंद्रा जी के परिवार की देखरेख में ही रहे जबकि अन्य 30 प्रतिशत चाहते हैं कि ZEE और SONY का विलय उनके हित में होगा. 20 प्रतिशत कहते हैं कि Invesco को पारदर्शी होकर बताना चाहिए कि वो क्या करना चाहते हैं? अन्य 10 प्रतिशत ने ‘हमें नहीं पता’ कह कर उत्तर दिया.  


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