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क्या मुस्लिम देशों से ढीली होती जा रही है पाकिस्तान की पकड़? अब मिस्र के विदेश मंत्री भारत पहुंचे

Egypt Foreign Minister India Visit: मिस्र के विदेश मंत्री का भारत दौरा कई मायनों में खास माना जा रहा है. मिस्र के विदेश मंत्री का यह दौरा बताता है कि कश्मीर का राग अलापने वाले पाकिस्तान की पकड़ मुस्लिम देशों से ढीली होती जा रही है.

क्या मुस्लिम देशों से ढीली होती जा रही है पाकिस्तान की पकड़? अब मिस्र के विदेश मंत्री भारत पहुंचे

Egypt Foreign Minister India Visit: मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे. विदेश मंत्री अब्लेदी 16 और 17 अक्टूबर को भारत दौरे पर रहेंगे. इस मौके पर वह भारत-मिस्र रणनीतिक वार्ता में शामिल होंगे. इसके साथ ही वह भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से भी मुलाकात करेंगे. राज्यसभा सदस्य डॉ. विक्रमजीत सिंह साहनी ने मिस्र के विदेश मंत्री से मुलाकात की.

विदेश मंत्रालय ने अब्देलती के भारत दौरे को लेकर लिखा, "मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती का हार्दिक स्वागत है. वे पहली भारत-मिस्र रणनीतिक वार्ता के लिए नई दिल्ली पहुंचे हैं. भारत-मिस्र रणनीतिक साझेदारी के कार्यान्वयन में प्रगति की समीक्षा करने और क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने का अवसर."

मिस्र के विदेश मंत्री का भारत दौरा कई मायनों में खास माना जा रहा है. मिस्र के विदेश मंत्री का यह दौरा बताता है कि कश्मीर का राग अलापने वाले पाकिस्तान की पकड़ मुस्लिम देशों से ढीली होती जा रही है. मुस्लिम देश भी आतंक और युद्ध से निकलकर आर्थिक और सामाजिक विकास के साथ ही स्थिरता की ओर देख रहे हैं. आज मुस्लिम देश भारत के साथ साझेदारी की सोच से कदम आगे बढ़ा रहे हैं. अगर भारत और मिस्र के संबंधों की बात करें तो यह दुनिया की दो सबसे प्राचीन सभ्यताओं में से एक है. भारत और मिस्र का प्राचीन काल से ही घनिष्ठ संपर्क रहा है.

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अशोक के शिलालेखों में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में टॉलेमी द्वितीय के शासनकाल में मिस्र के साथ उनके संबंधों का उल्लेख है. आधुनिक समय में महात्मा गांधी और साद जघलौल ने अपने देशों की स्वतंत्रता के लिए समान लक्ष्य साझा किए थे. यह संबंध राष्ट्रपति नासिर और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के बीच अत्यंत घनिष्ठ मित्रता में तब्दील हो गया. इसके बाद 1955 में दोनों देशों के बीच एक मैत्री संधि हुई. वहीं दोनों देशों ने राजनयिक संबंध स्थापित करने की संयुक्त घोषणा 18 अगस्त 1947 को की थी. बहुपक्षीय मंचों पर घनिष्ठ सहयोग किया है और 1961 में गुटनिरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक सदस्य थे.

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