म्यांमार में मचे इस सियासी भूचाल पर वहां की फौज का कहना है कि चुनाव में हुई धोखाधड़ी के जवाब में तख्तापलट की कार्रवाई की गई है.
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शाहबाज़ अहमद/नई दिल्ली: म्यांमार में सोमवार को तख्तापलट हो गया. म्यांमार की फौज ने देश की सुप्रीम लीडर आंग सान सू की और प्रेसिडेंट विन म्यिंट समेत कई बड़े नेताओं को हिरासत में ले लिया है और सेना ने देश में एक साल के लिए इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है. सत्ता पर कब्जा कर लिया है. म्यांमार की फौज के इस कदम की अमेरिका, हिंदुस्तान समेत दुनियां भर के देशों में निंदा हो रही है.
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दुनिया के बड़े नेताओं ने म्यांमार में फौरन लोकतंत्र बहाल करने की मांग की है. म्यांमार में मचे इस सियासी भूचाल पर वहां की फौज का कहना है कि चुनाव में हुई धोखाधड़ी के जवाब में तख्तापलट की कार्रवाई की गई है. तख्तापलट के साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों में फौज की टुकड़ियों की तैनाती कर दी गई है. म्यांमार के बड़े और अहम शहर यांगून में सिटी हॉल के बाहर सेना को तैनात किया गया है, ताकि कोई तख्तापलट का विरोध ना कर सके.
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भारत समेत कई देशों ने की निंदा
भारत ने म्यांमार में फौज के तख़्तापलट पर अफसोस जताया है. भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि," म्यांमार में हुए तख्तापलट से बेहद फिक्रमंद हैं. भारत हमेशा से म्यांमार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के हक़ में रहा है. हमारा मानना है कि देश में कानून और लोकतंत्र को बरकरार रखा जाए. म्यांमार के हालात पर भारत करीब से नज़र रखे हुए है." भारत के अलावा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने तख्तापलट पर फिक्र जताते हुए म्यांमार की फौज से कानून का पालन करने की अपील की है. अमेरिका में व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा कि, म्यांमार की फौज ने देश की सुप्रीम लीडर आंग सान सू की और बाकी ओहदेदारों को गिरफ्तार कर देश के लोकतंत्र को खत्म करने का कदम उठाया है. अमेरिका ने म्यांमार की फौज को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर ये तख्तापलट खत्म नहीं हुआ, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी,
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वहीं ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने भी म्यांमार में तख्ता पलट की कड़े शब्दों में निंदा की है. उन्होंने कहा कि आंग सान सू की और बाक़ी नेताओं को गिरफ्तार किए जाने की वो निंदा करते हैं. जॉनसन ने ट्वीट कर कहा कि लोगों के वोट का स्वागत किया जाना चाहिए . तो उधर ऑस्ट्रेलिया की तरफ से भी पीएम स्कॉट मोरिसन और विदेश मंत्री मरिज पायने ने सू की की रिहाई की मांग करते हुए कहा कि हम नवंबर 2020 के आम चुनाव के परिणाम के मुताबिक नेशनल असेंबली के फिर से बहाल की हिमायत करते हैं. पीएम स्कॉट ने कहा कि म्यांमार में फौज की तरफ से की गई कार्रवाई की वो निंदा करते हैं. इस तरह के घटना परेशान करने वाली हैं.
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कब चुनी गई थी म्यांमार में सरकार
दरअसल म्यांमार में लंबे वक्त तक सेना की ही हुकूमत रही है. साल 1962 से लेकर साल 2011 तक देश में फौजी तानाशाही रही है. साल 2010 में म्यांमार में आम चुनाव हुए और 2011 में म्यांमार में, चुनी हुई सरकार बनी. जिसमें जनता के चुने हुए नेताओं के हाथ में देश की कमान सौंपी गई. लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि लोकतांत्रिक सरकार बनने के बाद भी असली ताकत हमेशा फौज के पास ही रही.
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