Farm Laws Withdrawn: मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि सरकार ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है और उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों से घर लौटने की भी अपील की.
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नई दिल्ली: तीनों कृषि कानूनों को रद्द किए जाने के मरकज़ी हुकूमत के फैसले के ऐलान के बाद दिल्ली के सरहदी इलाकों के पास किसानों के प्रदर्शन स्थलों पर कई लोगों ने शुक्रवार को सुबह मिठाइयां बांटी और उनमें खुशियों का समा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन कानूनों को रद्द करने का ऐलान गुरु नानक जयंती के अवसर पर किया है. मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि सरकार ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का फैसला किया है और उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों से घर लौटने की भी अपील की. किसान इन कानूनों के खिलाफ पिछले करीब एक साल से प्रदर्शन कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री के इस ऐलान के बाद दिल्ली-उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर और दिल्ली-हरियाणा सिंघु बॉर्डर पर लोगों को प्रदर्शनस्थलों पर जलेबी और अन्य मिठाइयां तकसीम करते देखा गया. इस हवाले से सोशल मीडिया पर भी कई नज़र आए, जिनमें लोग टोकरियों में मिठाइयां लेकर प्रदर्शन स्थलों पर लोगों को इन्हें बांटते दिख रहे हैं.
#WATCH | Farmers celebrate at Ghazipur border with "Kisan Zindabad" slogans following PM Narendra Modi's announcement to repeal all three farm laws. pic.twitter.com/QHNpbtEW0g
— ANI (@ANI) November 19, 2021
गौरतलब है कि मोदी सरकार ने इन कानूनों को जून, 2020 में सबसे पहले अध्यादेश के तौर पर लागू किया था. इस अध्यादेश का पंजाब में तभी विरोध शुरू हो गया था. इसके बाद सितंबर के मॉनसून सत्र में इसपर बिल संसद के दोनों सदनों में पास कर दिया गया. किसानों का विरोध और तेज हो गया. हालांकि इसके बावजूद सरकार इसे राष्ट्रपति के पास ले गई और उनके दस्तखत के साथ ही ये बिल कानून बन गए.
People celebrate at Ghazipur border with 'Jalebis' following PM Narendra Modi's announcement to repeal all three farm laws. pic.twitter.com/pr6MgsQDmV
— ANI (@ANI) November 19, 2021
याद रहे कि इससे पहले इन तीनों कृषि कानूनों को लेकर किसानों और हुकूमत के दरमियान कई बैठके हुईं, जिनमें कोई बातचीत के जरिए इसका हल निकालने की कोशिश की गई, लेकिन सारी मीटिंगें बेनतीजा रहीं और कोई हल नहीं निकल सका. किसानों की वाहिद मांग थी कि इन तीनों कृषि कानूनों को वापल लिया जाए और इससे कम किसान किसी सूरते में तैयार नहीं हुए, जबकि हुकूमत इन कानूनों में संशोधन के लिए पहले तैयान थी.
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