ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की शोधार्थी दिव्या मेहता ने एक रिसर्च में इस बात का खुलासा किया है कि जिन लोगों का सामाजिक संपर्क ज्यादा है, उन्हें तनाव कम होता है और वह इस खतरे को आसानी से झेल लेते हैं.
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क्वींसलैंडः तनाव 90 फीसदी लोगों को मुतासिर करता है, और हम जानते हैं कि यह हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है. तनाव हमारे जीन की गतिविधि और काम को प्रभावित कर सकता है. यह ‘‘एपिजेनेटिक’’ परिवर्तनों के जरिए ऐसा करता है, जो हमारी कुछ जीन को चालू और बंद करता है. हालांकि यह डीएनए कोड को नहीं बदलता है, लेकिन कुछ लोग तनाव के प्रति ज्यादा खराब प्रतिक्रिया क्यों देते हैं, जबकि अन्य लोग दबाव में रहते हुए इसका सामना बखूबी करते हैं?
सामाजिक नेटवर्क शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य पर डालता है असर
हालिया शोधों ने मजबूत सामाजिक बंधनों की पहचान की है और अपनेपन की भावना को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत बनाए रखने का एक जरिया पाया हैं. सामाजिक समर्थन का अर्थ है एक ऐसा नेटवर्क होना जो जरूरत के समय में आपके साथ हो. यह प्राकृतिक स्रोतों जैसे परिवार, दोस्तों, भागीदारों, पालतू जानवरों, सहकर्मियों और सामुदायिक समूहों से आ सकता है. या औपचारिक स्रोतों जैसे मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से.
समाजिक संपर्क कम करते हैं तनाव
जर्नल ऑफ साइकियाट्रिक रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन पहली बार दिखाता है कि ये सकारात्मक प्रभाव मानव जीन पर भी देखे गए हैं. सहायक सामाजिक संरचनाएं होने से एपिजेनेटिक्स की प्रक्रिया के माध्यम से हमारे जीन और स्वास्थ्य पर तनाव के कुछ हानिकारक प्रभावों को दूर किया जा सकता है. निष्कर्ष बताते हैं कि हम जिस डीएनए के साथ पैदा हुए हैं, वह जरूरी नहीं कि हमारी नियति हो.
छात्रों के दो समूहों पर किया गया रिसर्च
शोध में पाया गया है कि तनाव ने एपिजेनेटिक्स को प्रभावित किया और इसके कारण प्रतिभागियों में संकट, चिंता और अवसादग्रस्तता के लक्षणों में इजाफा हुआ. हालांकि, शोध में शामिल जिन छात्रों के पास मजबूत सामाजिक समर्थन था, उनमें तनाव से संबंधित स्वास्थ्य परिणाम ज्यादा गंभीर नहीं थे. एक समूह, संगठन, या समुदाय से संबंधित होने की मजबूत भावना वाले छात्र तनाव से बेहतर तरीके से निपटते हैं और तनाव के संपर्क में आने के बाद नकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों को कम करते हैं. छात्रों के इन दोनों समूहों ने जीन में कम एपिजेनेटिक परिवर्तन दिखाया जो तनाव के परिणामस्वरूप बदल गए थे.
कोविड महामारी ने बढ़ाई लोगों में आपसी दूरी
कोविड ने हमें और अधिक अलग-थलग कर दिया है कोविड महामारी ने अनिश्चितता, परिवर्तित दिनचर्या और वित्तीय दबावों के कारण लोगों के लिए भारी मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक बोझ पैदा कर दिया है. ऑस्ट्रेलिया में, महामारी की शुरुआत के बाद से चिंता, अवसाद और आत्महत्या की दर बढ़ गई है. पांच में से एक ऑस्ट्रेलियाई ने उच्च स्तर के मनोवैज्ञानिक संकट की सूचना दी है. महामारी ने हमें और ज्यादा अलग-थलग कर दिया है, और हमारे संबंधों में पहले से ज्यादा दूरी आ गई है, जिसका सामाजिक संबंधों और अपनेपन पर गहरा प्रभाव पड़ा है.
अपनेपन की भावना, हमारे जीन को प्रभावित करती
अध्ययन इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे परिवार और समुदाय का समर्थन, और अपनेपन की भावना, हमारे जीन को प्रभावित करती है और तनाव के प्रभावों के खिलाफ एक सुरक्षात्मक कारक के रूप में कार्य करती है. ऐसे अभूतपूर्व और तनावपूर्ण समय में, यह महत्वपूर्ण है कि हम ऐसी मजबूत सामाजिक संरचनाओं का निर्माण करें और उन्हें बनाए रखें जो हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में योगदान करते हैं.
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