साबिक डीजीपी बृजलाल ने आगे कहा, ''अखिलेश यादव क्या जानें कि पुलिस तसादुम क्या होता है? जहां छोटे सतह के अफसर और मुलाज़िम लड़ते हैं.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के साबिक डीजीपी बृजलाल ने उत्तर प्रदेश के साबिक सीएम और समाजवादी पार्टी के कौमी सद्र अखिलेश यादव पर कई संगीन इल्ज़ामात लगाए हैं. उन्होंने अखिलेश यादव के ज़रिए कानपुर शूटआउट को लेकर किए गए एक ट्वीट पर अपनी यह तबसिरा ज़ाहिर किया है. बृजलाल ने अखिलेश यादव को दहशतगर्दों और मुजरिमीन को पनाह देने वाला बताया है.
बृजलाल ने जी मीडिया से बातचीत में कहा, ''आज मैंने अखिलेश यादव का ट्वीट पढ़ा, इन्होंने कानपुर शूटआउट में शहीद हुए पुलिसवालों और उत्तर प्रदेश पुलिस मेहकमे के 3 लाख मुलाज़िमीन की बइज्ज़ती की है. यह बेइज्ज़ती उस शख्स ने की है, जिसने खुद अपने दौरे इक्तेदार में दहशतगर्दों और मुजरिमीन को पनाह दी, जिसका मैं खुद शिकार रहा हूं.''
साबिक डीजीपी बृजलाल ने आगे कहा, ''अखिलेश यादव क्या जानें कि पुलिस तसादुम क्या होता है? जहां छोटे सतह के अफसर और मुलाज़िम लड़ते हैं. जिंदगी और मौत में चंद सेकंड का फासला होता है. मैंने खुद 19 तसादुम किए हैं, खुद गोली चलाई है. एडीजी सतह पर रहते हुए गोली चलाई है मैंने. चित्रकूट में 18 जून 2009 को. मैं जानता हूं जिंदगी और मौत क्या होती है.''
बृजलाल ने कहा, ''अखिलेश ने खुद हमेशा दहशतगर्दों और मुजरिमीन को पनाह दी है. लखनऊ कचहरी धमाका और बनारस में हूजी दहशतगर्दों के ज़रिए किए गए बम धमाके के दौरान एडीजी लॉ एंड ऑर्डर था. मैंने दहशतगर्दों को गिरफ्तार किया था. अखिलेश की हुकूमत आई. एक दहशतगर्द खालिद मुजाहिद को फैजाबाद कचहरी में ले जाते वक्त लू लग गई, बाराबंकी आते आते मर गया. तब मैं डायरेक्टर जनरल सिविल डिफेंस था. अखिलेश ने मेरे, साबिक डीजीपी विक्रम सिंह और हमारे 42 मुलाज़िमीन के खिलाफ कत्ल का मुकदमा दर्ज कराया था.''
उन्होंने आगे कहा, ''ये मुकदमा दर्ज कराकर अखिलेश ने एसटीएफ को, पुलिस को पैगाम दे दिया था कि दहशतगर्दों और हमारे पालतू मुजरिमों के खिलाफ नज़र मत उठाओ. इन्होंने वह केस वापस ले लिया था लेकिन अदालत ने ऐसा थप्पड़ मारा और केस वापस नहीं लेने दिया. तारिक कासमी को तीन मामलों में ताउम्र कारावास की सजा हुई.''
बृजलाल ने कहा, ''सीएए तशद्दुद में गिरफ्तार हुआ था मोहम्मद शोएब, वह भी इनका बड़ा प्यारा था. इसने रिहाई मंच बना करके, उसमें कुछ बायांबाजू ने अखिलेश के इशारे पर कई महीने धरना चलया कि बृजलाल को गिरफ्तार करो. सीएम रहते हुए इन जनाब ने एक केस वापस लिया था, जिसमें 8 जुलाई 2011 को मुरादाबाद में पुलिस अफसरों पर हमला हुआ था. जिसमें इनके पालतू समाजवादी पार्टी के गुर्गों ने डीआईजी अशोक कुमार को गोली मारी थी और मरा समझकर छोड़ गए थे.''
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