जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) से धारा 370 खत्म होने के बाद वादी में किस तरह हालात बदल रहे हैं? नए निजाम की दस्तक से हौसलों ने किस तरह उड़ान भरी है? जी सलाम के खास प्रोग्राम "नया सवेरा" #NayaSavera के मंच से उन जिम्मेदार हस्तियों ने बातें कीं जिनके कंधों पर सियासत के मुस्तकबिल की कमान है. इसी क्रम में पूर्व डीजीपी एस. पी. वैद्य ने अपनी बात रखी.
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जम्मू: ज़ी सलाम के खास प्रोग्राम "नया सवेरा" में अपनी बड़ी बड़ी हुसूलियाबियों के लिए पहचाने जाने वाले पूर्व डीजीपी एस. पी. वैद्य (Shesh Paul Vaid) ने आतंकी बुरहान एनकाउंटर मामले में बोलते हुए कहा कि बुरहान वानी को पोस्टर ब्वॉय बनाने में सोशल मीडिया ने अहम रोल अदा किया. जब बुरहान वानी को एकनाउंटर मार दिया गया तो कश्मीर में हैजानी सी कैफियत पैदा हो गई थी. कश्मीर में एकदम सारा सिस्टम कॉलेप्स हो गया था.
उन्होंने बताया कि बहुत सारे इलाके ऐसे थे जो बिल्कुल कट ऑफ हो चुके थे. बहुत सारे जिलों और तहसीलों के रास्ते बंद हो गए थे. बहुत सारी सड़कों पर बिजली के पोल या पेड़ काटकर डाल दिए गए. जब वहां आर्मी या पुलिस जाती थी तो उनपर पथराव होता था. हमारे लिए बहुत बड़ा चैलेंज था कि इसको किस तरह नॉर्मल किया जाए. जिसके बाद हमने एक ऐसा एक्शन शुरू किया, आर्मी और सीआरपीएफ के दस्तों को साथ लेकर खुद में एक-एक जिले और तहसीलों में गया और सभी रास्ते साफ किए. वहां बहुत पथराव हुआ जिसमें कई जख्मी भी हुए, बहुत सारी जगहों पर एनकाउंटर भी हुए.
उन्होंने आगे बताया कि तब हमने आतंकियों की एक लिस्ट जारी की कि इनको टार्गेट करना है तभी हालात बेहतर होंगे. ऑपरेशन ऑल आउट लॉन्च किया गया. जम्मू-कश्मीर पुलिस, आर्मी और सीआरपीएफ को साथ लेकर हमने रास्ते खोलकर लोगों के बीच गए. उन्होंने आगे बताया कि 370 हटने के बाद से इस तरह के हालात नहीं आए और ना ही इस तरह का इको सिस्टम तैयार हुआ जो बुरहान वानी के वक्त हुआ था.
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उन्होंने बताया कि उन्हें बहुत हद तक पुलिस एक्शन करना पड़ा. करीब 10 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया और पब्लिक सेफ्टी एक्ट में भी हजारों लोगों को डिटेन करना पड़ा. क्योंकि अपर ग्राउंड नेटवर्क को तोड़ना बहुत जरूरी था. आज जो आप नतीजा देख रहे हैं ये बुरहान वाली एनकाउंटर के बाद हुए एक्शन का ही नतीजा है.
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 370 (Article 370) हटने के बाद आज सैपरेटिस्ट सपोर्ट खत्म हो गई है. पहले हड़ताल और बंद की कॉल दी जाती थीं, सैंकड़ों की तादाद में पत्थरबाज आते थे और जहां भी एनकाउंटर चल रहा होता था वहां वो पत्थरबाजी करते थे. ताकि आतंकियों को वहां से भगाया जा सके. वो सिस्टम आज खत्म हो गया. इसके अलावा हम किसी को पुलिस स्टेशन लाया करते थे तो वहां सियासी या लोकल प्रेशर आया करते था कि उनको छोड़ दिया जाए.
इस मौके पर पूर्व डीजीपी ने उस कदम की तारीफ की जिसमें आतंकियों को बाहर की जेलों में रखने की बात कही गई है. क्योंकि वो पहले किसी भी ऐसी कैदी के साथ बंद कर दिए जाते थो जो एक अलग जुर्म में कैद होता था और आतंकी उसको भी अपने जैसा बना लिया करता था.
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