कोरोना से पहले मुल्क मजहबी कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद का हो चुका है शिकार: हामिद अंसारी
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कोरोना से पहले मुल्क मजहबी कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद का हो चुका है शिकार: हामिद अंसारी

इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से पहले ही हिंदुस्तानी समाज दो अलग-अलग महामारियों 'मज़हबी कट्टरता' और 'जारहाना राष्ट्रवाद' (Aggressive nationalism) का शिकार हो चुका है.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: मुल्क के साबिक उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने एक प्रोग्राम को खिताब करते हुए राष्ट्रवाद को कोरोना से बड़ी महामारी करार दिया है. उन्होंने कहा है कि मुल्क कोरोना से भी पहले 'मज़हबी कट्टरता' और 'जारहाना राष्ट्रवाद' (Aggressive nationalism) जैसी महामारियों का शिकार हो चुका है. 

जुमा के रोज़ हामिद अंसाही कांग्रेस लीडर शशि थरूर की नई किताब के डिजिटल विमोचन के प्रोग्राम को खिताब कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस से पहले ही हिंदुस्तानी समाज दो अलग-अलग महामारियों 'मज़हबी कट्टरता' और 'जारहाना राष्ट्रवाद' (Aggressive nationalism) का शिकार हो चुका है. उन्होंने आगे कहा कि इन सब के मुकाबिले 'देश प्रेम' ज्यादा मसबत (सकारात्मक) अवधारणा है. क्योंकि यह फौजी और सकाफती (सांस्कृति) शक्ल से ज्यादा डिफेंसिव है. 

मरकज़ की नरेंद्र मोदी हुकूमत पर तंज़ कसते हुए हामिद अंसारी ने कहा कि चार सालों की छोटी सी मियाद में हिंदुस्तान ने 'उदार राष्ट्रवाद' से 'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' तक की एसी नई सियासी परिकल्पना का सफर तय कर लिया है. जो लोगों के दिमाग में मज़बूती से घर कर गई है. अंसारी ने आगे कहा कि आज मुल्क 'प्रकट' (ज़ाहिरी) 'अप्रकट' (गैरज़ाहिरी) ख्यालों और नज़रियों के खतरे में दिख रहा है, जो 'हम' और 'वो' के ख्याली ज़िमरे (श्रेणी) की बुनियाद पर बांटने की कोशिश करते हैं. 

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