Bank Privatisation: रिपोर्ट के मुताबिक, डिस्इन्वेस्टमेंट (Disinvestment) के लिए मरकज़ी हुकूमत ने बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में तबदीली के भी इशारे दिए हैं.
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नई दिल्ली: बैंक प्राइवेटाइजेशन को लेकर ताजा अपडेट ये है कि मरकज़ी हुकूमत ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) में अपनी हिस्सेदारी बेचने का इरादा किया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हुकूमत डिस्इन्वेस्टमेंट के पहले मरहले में दोनों बैंकों में 51 फीसदी हिस्सेदारी बेच सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक, डिस्इन्वेस्टमेंट (Disinvestment) के लिए मरकज़ी हुकूमत ने बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में तबदीली के भी इशारे दिए हैं. इस हवाले से कहा जहा है कि मरकज़ी हुकूमत जल्द ही आरबीआई के साथ चर्चा करके कुछ कानूनों में बदलाव कर सकती है. कुछ दिनों पहले ही नीति आयोग ने डिस्इन्वेस्टमेंट (Disinvestment) के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक के नाम की सिफारिश की थी और इन दोनों बैंकों को विनिवेश (Disinvestment) के लिए शॉर्टलिस्ट कर लिया गया है.
अगर हुकूमत ने अपनी हिस्सेदारी बेची तो बैंककर्मियों और ग्राहकों का क्या होगा?
अगर हुकूमत इन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी बेचती है तो ग्राहकों को पहले की ही तरह सेवाएं मिलती रहेंगी और वहीं बैंककर्मियों की नौकरी पर भी कोई तलवार नहीं लटकेगी. हुकूमत इस पर कई बार वज़ाहत पेश कर चुकी है.
ANI की एक रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इससे पहले 16 मार्च को कहा था कि जिन बैंकों का प्राइवेटाइजेशन होना है, उन सभी बैंकों के कर्मचारियों के मफाद का पूरा खयाल रखा जाएगा और उनकी तंख्वाह और पेंशन समेत तमाम सहुलियात का पूरा ध्यान रखा जाएगा.
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