खाने में इस्तेमाल होने वाले तेल की बढ़ती कीमतों के मद्देनज़र सरकार ने लगाई स्टॉक लिमिट
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खाने में इस्तेमाल होने वाले तेल की बढ़ती कीमतों के मद्देनज़र सरकार ने लगाई स्टॉक लिमिट

सरकारी आकडों के मुताबिक पिछले 1 साल में रसोई में इस्तेमाल होने वाले तेल की कीमतें 46 फीसद तक बढ़ी हैं

खाने में इस्तेमाल होने वाले तेल की बढ़ती कीमतों के मद्देनज़र सरकार ने लगाई स्टॉक लिमिट

नई दिल्ली: तेल की बढ़ती कीमतों ने गरीब की कमर तोड़ रखी है, तेल की कीमतों में आय दिन उछाल आ रहा है, इसी बात के मद्देनज़र सरकार ने तेल व्यापारियों पर 31 मार्च तक स्टॉक या भंडारण की सीमा लगा दी है. हालाकि कुछ Importers-Exporters को इसमें छूट दी गई. मंत्रालय के मुताबिक बढ़ती तेल की कीमतों का कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार हैं.

सरकारी आकडों के मुताबिक पिछले 1 साल में रसोई में इस्तेमाल होने वाले तेल की कीमतें 46 फीसद तक बढ़ी हैं, बताया जा रहा है ग्लोबल फैक्टर प्रभावित होने के साथ-साथ घरेलू बज़ार में सप्लाई प्रभावित होने की वजह से तेल के दामों में बढ़ोतरी देखी जा रही है.

कंज्यूमर मिनिस्ट्री के मुताबिक पिछले साल सोया तेल के दाम 106 रुपये किलो था जो बढ़कर 154 रुपय किलो हो गया है. वहीं अगर बात करें सरसों के तेल की तो पिछले साल 129 रुपये किलो था जो बढ़कर 184 रुपये प्रति किलो पहुंच गया है. वहीं सूरजमुखी का तेल 38.48 प्रतिशत बढ़कर 170.09 रुपए प्रति किलो और पाम तेल 38 प्रतिशत बढ़कर 132.06 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गया है.

सभी राज्यों और केंद्र प्रशासित राज्यों को केंद्र सरकार की तरफ़ से आदेश दिए गए हैं कि भंडारन की लिमिट स्टॉक और खपत के हिसाब से ही तय की जाए. हालाकि कुछ इंपोर्टर्स और एक्सपोर्टर्स को इसमें रिआयत दी गई है लेकिन यह छूट उन निर्यातकों को होगी जिनके पास विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ओर से जारी आयातक-निर्यातक कोड होगा और वे यह बता सकेंगे कि उनके पास पूरा या कुछ स्टॉक निर्यात के उद्देश्य से है.

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