Patients with Rare Diseases: सरकार ने दुर्लभ मरीजों को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठाया है. सरकार ने दुर्लभ बीमारियों की सभी श्रेणियों के रोगियों को दिए जाने वाली रकम में 30 लाख रुपये का इजाफा किया है.
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patients with rare diseases: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दुर्लभ रोगों का इलाज करने वाले आठ नामित अस्पतालों से कहा है कि उनमें से प्रत्येक चिकित्सा संस्थान विशेषज्ञों की एक समिति गठित करें. यह समिति वित्तीय सहायता के लिए किसी रोगी का आवेदन मिलने के एक महीने के भीतर 50 लाख रुपये की नकद सहायता मुहैया कराने के संबंध में फैसला करेगी.
स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से जारी नए दिशानिर्देशों के मुताबिक आठ उत्कृष्टता केंद्रों (COE) को पांच करोड़ रुपये तक की एकमुश्त वित्तीय सहायता दी जाएगी. यह राशि दुर्लभ रोगों की जांच, उपचार और रोकथाम तथा चिकित्सा सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए उपकरणों की खरीद की खातिर होगी.
दिशानिर्देशों में कहा गया है कि उत्कृष्टता केंद्रों की संख्या भी बढ़ायी जाएगी. मंत्रालय ने 11 अगस्त को दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति 2021 के तहत थैलेसीमिया, हीमोफिलिया और सिकल सेल एनीमिया जैसी दुर्लभ बीमारियों से पीड़ित रोगियों को वित्तीय सहायता मुहैया करने के लिए दिशानिर्देश और प्रक्रियाएं जारी की थी.
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मंत्रालय ने 19 मई को दुर्लभ बीमारियों की सभी श्रेणियों के रोगियों के लिए वित्तीय सहायता के तहत दी जाने वाली राशि 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी थी. दिशानिर्देशों के अनुसार हर उत्कृष्टता केंद्रों में एक 'दुर्लभ रोग समिति' का गठन किया जाएगा और दुर्लभ रोग के लिए अस्पताल के नोडल अधिकारी समिति के सदस्य सचिव होंगे.
आवश्यक होने पर उत्कृष्टता केंद्र समिति में किसी बाहरी विशेषज्ञ को भी शामिल कर सकता है. मरीजों या उनके अभिभावकों से मिलने वाले अनुरोधों की पहले नोडल अधिकारी द्वारा जांच की जाएगी और उसके बाद आवेदन को समिति के समक्ष विचार एवं अनुमोदन के लिए रखा जाएगा. समिति अनुरोध मिलने के चार सप्ताह के भीतर उपचार और राशि आवंटन के बारे में फैसला करेगी.
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