दरगाह कमेटी की जानिब से इस बात ऐलान कर दिया गया है. दिल्ली जामा मस्जिद समेत कई बड़े मज़हबी मक़ामात खुलने के बाद से ही लगातार दरगाह कमेटी से दरगाह खोलने की दरख्वास्त की जा रही थी,
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नई दिल्ली/शोएब रज़ा: लॉकडाउन और कोरोना की वजह से आम लोगों की ज़िंदगी बुरी तरह से मुतास्सिर हुई है. लॉकडाउन का असर मज़हबी मकामात पर खूब नज़र आया और ज्यादातर मज़हबी मकामात अभी भी या तो बंद हैं या फिर बड़े एहतियात के साथ उनको खोला गया है. दिल्ली में मौजूद तारीख़ी हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया की मज़ार भी 22 मार्च से बंद हैं लेकिन अब 5 अगस्त से मज़ार को आम ज़ायरीन के लिए खोल दिया जाएगा.
दरगाह कमेटी की जानिब से इस बात ऐलान कर दिया गया है. दिल्ली जामा मस्जिद समेत कई बड़े मज़हबी मक़ामात खुलने के बाद से ही लगातार दरगाह कमेटी से दरगाह खोलने की दरख्वास्त की जा रही थी, जिसको अब मान लिया गया है. हालांकि कोरोना के मद्देनज़र कई एहतियात भी बरते जाएंगे. दरगाह में सिर्फ ज़ियारत करने की इज़ाजत होगी. ज़ायरीन वहां मजमा लगाकर नहीं बैठ सकेंगे ना ही दरगाह के पास बैठकर कुरान शरीफ की तिलावत करने की इजाज़त मिलेंगे. दरगाह से कुरान पाक को भी हटाया गया है.
दरगाह कमेटी के तरजुमान फरीद निज़ामी का कहना है "कोरोना की वजह से ये दौर बड़ा चैलेंजिग है. दरगाह कमेटी ने दरगाह को ज़ायरीन के लिए खोलने का ऐलान किया है. 5 अगस्त से दरगाह खुलेगी. दरगाह के दोनों दरवाज़ों पर सेनेटाइज़ेशन मशीन लगाई गई है. दरगाह कमेटी की जानिब से सभी कानून पर अमल किया जाएगा."
दरअसल निज़ामुद्दीन दरगाह से हज़ारों लोगों को रोज़गार भी जुड़ा है. दरगाह पर चढ़ाने के लिए फूल, चादर समेत कई सामान की दरगाह के करीब सैंकड़ों दुकानें हैं. ये सभी दुकानें भी दरगाह बंद होने की वजह से बंद पड़ी हैं जिससे कई खानदानों के सामने रोज़ी-रोटी की परेशानी खड़ी हो गई है. साथ ही खाने पीने के होटल भी बंद पड़े है. ऐसे में दरगाह के खुलते ही इन सबका रोज़गार फिर से शुरू हो जाएगा लेकिन कोरोना का चैलेंज बरकरार रहेगा.
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