Story of Prophets: यूसुफ के भाई, यूसुफ के दरबार में; हज़रत याकूब की बीनाई की वापसी
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Story of Prophets: यूसुफ के भाई, यूसुफ के दरबार में; हज़रत याकूब की बीनाई की वापसी

Story of Prophets: हम अपनी सीरीज 'Story of Prophets' में सिलसिलेवार हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम (Hazrat Yusuf Alaihis salam) की ज़िदंगी से जुड़े वाक्यात से रूबरू करा रहे हैं. ये इस सीरीज आखिरी भाग है.

Story of Prophets: यूसुफ के भाई, यूसुफ के दरबार में; हज़रत याकूब की बीनाई की वापसी

Story of Prophets: हम पिछले भाग में हज़रत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की ज़िंदगी से जुड़े कई दिसचस्प वाक्यों से आपको रूबरू करा चुके हैं.

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जैसा कि हम पहले बता चुके हैं कि मिस्र के बादशाह ने हजरत युसूफ अलैहिस्सलाम से मुतास्सिर हो कर खजाने को तकसीम करने की जिम्मेदारी सौंप दी थी. फिर बादशाह ने हुकूमत और उसके सारे इन्तेजामात ही उनके हवाले कर दिए. हजरत यूसुफ की पेशनगोई के मुताबिक ही सात सालों की हरियाली के बाद सात साल सूखा पड़ा और अनाज की खरीद व फरोख्त करने के लिए लोग दूर-दूर से आने लगे.

युसूफ के भाई, युसूफ के दरबार में
इस दौरान एक रोज युसूफ अलैहिस्सलाम के भाई भी बादशाह के दरबार में गल्ला लेने पहुंचे, अपने भाइयों को देखते ही युसूफ अलैहिस्सलाम ने उन्हें पहचान लिया, मगर उनके भाई हजरत यूसुफ को ना पहचान सके. युसूफ अलैहिस्सलाम ने उन्हें गल्ला दिया और ताकीद कर दी कि अगली बार आना तो अपने दूसरे भाई बन्याबैन को भी लेकर आना. युसूफ अलैहिस्सलाम के भाइयों ने सारी बातें अपने वालिद को बतलाई और अपने भाई बन्याबैन को ले जाने की इजाजत मांगी और उन्होंने अपने वालिद को बन्याबैन की हिफाजत का यकीन दिलाया. जब ये भाई दूसरी बार गल्ला लेने के लिए मिस्र आए तो बन्याबैन भी उनके साथ था. इसी दौरान हजरत यूसुफ ने उनको बता दिया कि मैं तुम्हारा भाई यूसुफ हूं. ये सुनकर बन्याबैन की खुशी की इंतिहा ना रही, उनका बिछड़ा भाई उनको मिल गया. फिर यूसुफ ने उनको अपने पास रोक लिया और भाईयों को वापिस कर दिया, इसके बाद सभी भाई बहुत मायूस हो गए.

युसूफ का कुर्ता और हज़रत याकूब की बीनाई की वापसी
भाइयों की मायूसी के बाद आखिर में हज़रत यूसुफ ने उन्हें बता दिया कि मैं यूसुफ हूं. हज़रत युसूफ की असलियत जान कर वे काफी शर्मिंदा हुए. फिर युसूफ अलैहिस्सलाम ने अपने भाईयों को माफ कर दिया और फिर वालिद को साथ लाने के लिए कहा. साथ ही अपना कुर्ता भी उन्हें दिया कि इसे वालिद-ए-मोहतरम की आंखों पर रख देना.

जब ये भाई वापस अपने वालिद के पास पुहंचे तो उन्हें दूर से ही देख कर कहने लगे कि यूसुफ की खुश्बु आ रही है. फिर भाइयों ने अपने वालिद को सारा किस्सा सुनाया. उनके वालिद ने अपने बेटे युसूफ का कपड़ा उठाकर उसे चूमा और ज्यों ही आंखों से लगाया तो उनकी आंखों की बिनाई (रौशनी) वापस आ गई और फिर वे सभी युसूफ अलैहिस्सलाम से मिलने मिस्र की जानिब रवाना हुए. मिस्र में उनका शांदार इस्तकबाल किया गया और जब वे सभी युसूफ अलैहिस्सलाम के दरबार में पहुंचे तो सजदे में गिर पड़े. फिर युसूफ ने अपने वालिद को गले लगाया और इस तरह ये थी उस ख्वाब की ताबीर, जो उन्होंने 11 सितारे, चांद और सूरज को लेकर की थी. 'बेशक इस वाक्ये में ईमान वालों के लिए बहुत सी निशानियां भी हैं और सबक भी है. इसलिए इस वाक्ये को कुरआन में सबसे अफज़ल किस्सा कहा गया है.

युसूफ अलैहिस्सलाम के खांदान की मिस्र में सुकूनत
रिवायत में आया है कि जब युसूफ अलैहिस्सलाम ने मिस्र की उमूर सलतनत संभाली तो उनके खांदान ने भी मिस्र ही में सुकूनत एख्तियार कर ली और इस तरह बनी इस्राइल मिस्र की सर-जमीन में आबाद हो गए.

हजरत युसूफ अलैहिस्सलाम का इंतिकाल
हजरत युसूफ अलैहिस्सलाम 120 साल की उम्र में अल्लाह को प्यारे हो गए  और दरयाए निल के किनारे दफन हुए. रियावत में आया है कि अल्लाह ताला ने हजर मूसा ने को मिस्र छोड़ने का हुक्म देते हुए हजरत यूसुफ की मैय्यत भी अपने साथ लेजाने की हिदायत जारी की, जिस पर वह उनका ताबूत फिलिस्तीन ले गए और हजरत इस्हाक और हजरत याकूब के बराबर दफन कर दिया.

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