HC ने कहा- अल्पसंख्यकों ने नहीं बनाए मदरसे; अब SC का रुख करेंगे याचिकाकर्ता, जमीयत का आया ये रिएक्शन
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HC ने कहा- अल्पसंख्यकों ने नहीं बनाए मदरसे; अब SC का रुख करेंगे याचिकाकर्ता, जमीयत का आया ये रिएक्शन

jamiat ulema e hind reaction: याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है. याचिकाकर्ताओं  में से ज्यादा तर लोग लोग बराक वैली के रहने वाले हैं, अब उनकी की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं.

HC ने कहा- अल्पसंख्यकों ने नहीं बनाए मदरसे; अब SC का रुख करेंगे याचिकाकर्ता, जमीयत का आया ये रिएक्शन

शरीफ उद्दीन अहमद/गुवाहाटी: गुवाहाटी हाई कोर्ट ने शुक्रवार को राज्य द्वारा वित्त पोषित मदरसों को आम तालीमी इदारों में बदलने के लिए असम विधानसभा द्वारा 2020 में पारित असम निरसन अधिनियम 2020 की संवैधानिकता को बरकरार रखा है. अदालत ने मदरसों (Madarsa) को स्कूल में तबदील करने के लिए लाए गए कानून के खिलाफ दायर अर्जियों को भी खारिज कर दिया है. गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुताबिक राज्य की विधाई और कार्यकारी कार्यवाही के जरिए किया गया परिवर्तन सिर्फ प्रांतीय मदरसों के लिए है. यह परिवर्तन सरकारी सकूल के लिए हैं निजी मदरसों के लिए नहीं है.

अब याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है. याचिकाकर्ताओं  में से ज्यादा तर लोग लोग बराक वैली के रहने वाले हैं , अब उनकी की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. फारूक अहमद  लश्कर जो बराक वैली के रहने वाले हैं, उनका कहना है गुवाहाटी हाई कोर्ट का जो फैसला आया है उसके तमाम लोग सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे.

एक याचिकाकर्ता बीतचीत से किया इंकार
एक दूसरे याचिकाकर्ता फरीदुद्दीन ने कहा है कि मैं अभी इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं ,अभी हम बातचीत करके मीडिया के सामने कहेंगे क्योंकि अभी कुछ कहने से कौम का खतरा आएगा.

सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुला है
एक दूसरे अर्जीगुज़ार अमीरुल इस्लाम से भी हमने बातचीत की बातचीत के दौरान उन्होंने साफ कह दिया है कि हम लोग यहीं पर चुप नहीं बैठेंगे आने वाले दिनों पर हम सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे.

जमीयत उलेमा ए हिंदव ने भी अपील करने की बात कही है
गुवाहाटी हाई कोर्ट के सीनियर एडवोकेट, तथा कामरूप जमीयत उलेमा ए हिंद के सदर जुनेद खालिद से भी बातचीत की बातचीत के दौरान इस फैसले के बारे में तफ्सिल से जानकारी दी और उन्होंने कहा है कि अभी इस मामले पर याचिका करने वाले फिर से सुप्रीम कोर्ट पर अपील कर सकेंगे.

क्या है मामला
ख्याल रहे कि असम विधानसभा ने पिछले साल 30 दिसंबर को एक कानून पारित किया था और सभी सरकारी वित्त पोषित मदरसों को सामान्य स्कूलों में बदलने का आह्वान किया गया था. राज्य सकार ने वादा किया था कि असम निरसन विधेयक-2020 के तहत मदरसों के शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की हालत, तन्ख्वाह, भत्ते और सेवा में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा. इस कानून पर कुछ लोगों ने ऐतराज जताया था और गुवाहाटी हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उसके बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया है.

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