सुप्रीम कोर्ट ने मरकज़ी हुकूमत का फरीक रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, 'जिन्होंने पैदल जाना शुरू कर दिया है, उन्हें कैसे रोक सकते हैं?'
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र के औरंगाबाद में गुज़िश्ता 8 मई की आधी रात में हुए रेल हादसे में 16 मज़दूरों ने अपनी जान गंवाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दाखिल अर्ज़ी पर जुमा को समाअत करने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'लोग रेलवे पटरियों पर सो जाएंगे तो कोई हादसा कैसे रोक सकता है? अदालत के लिए यह निगरानी करना मुमकिन नहीं है कि कौन ट्रैक पर चल रहा है और कौन नहीं चल रहा है. इसपर रियासतों को फैसला करने देना चाहिए. कोर्ट को नहीं.'
सुप्रीम कोर्ट ने मरकज़ी हुकूमत का फरीक रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, 'जिन्होंने पैदल जाना शुरू कर दिया है, उन्हें कैसे रोक सकते हैं?' इस पर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'सबके घर लौटने का इंतेज़ाम किया जा रहा है लेकिन लोग सब्र से अपनी बारी का इंतेज़ार नहीं कर रहे. हम उनके साथ ज़बरदस्ती नहीं कर सकते. हुकूमतें सिर्फ उनसे पैदल नहीं चलने की अपील कर सकती हैं.'
आपको बता दें कि वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल कर कहा था कि अदालत मरकज़ी हुकूमत से सड़कों पर चलने वाले मुहाजिर मज़दूरों की शनाख्त करने, उन्हें खाना और रिहाइश मुहय्या करने के लिए कहे. इस अर्ज़ी में वकील ने हाल ही में महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुई उस वारदात का भी हवाला दिया था. जिसमें रेलवे ट्रैक पर सो रहे 16 मज़दूरों के ऊपर से मालगाड़ी गुज़र गई थी और हादसे में 16 की मौत हो गई थी.