पुलवामा हमले में शहीद की बेटियों के लिए मसीहा बनीं ये मुस्लिम IAS खातून
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पुलवामा हमले में शहीद की बेटियों के लिए मसीहा बनीं ये मुस्लिम IAS खातून

कड़क ऑफिसर इनायत खान का नरम दिल, शहीद की बेटियों के लिए बनीं सहारा आजीवन खर्चा उठाने की किया ऐलान

 

पुलवामा हमले में शहीद की बेटियों के लिए मसीहा बनीं ये मुस्लिम IAS खातून

नई दिल्ली : 14 फरवरी 2019 मुल्क के लिए वो सियाह दिन है जिसको कभी भुलाया नहीं जा सकता। आज जम्मू कश्मीर के पुलवामा में हुए दहशतगर्दाना हमले की पहली बरसी है। सीआरपीएफ (CRPF) क़ाफिले पर हुए इस हमले की ख़बर से पूरा मुल्क सहम गया था. मुल्क के हर शख़्स के आंखों में आंसू थे। आला हस्तियों से लेकर मुल्क का बच्चा बच्चा पुलवामा अटैक में शहीद हुए कुनबों के बारे में सोच रहा था। वहीं इस बीच एक मुस्लिम IAS खातून भी थीं जो शहीद की बेटियों को गोद लेकर उनके मुस्तक़बिल संवारने का ख़्वाब देख रहीं थीं

दरअसल हम बात कर रहे हैं मुस्लिम IAS खातून बिहार के शेखपुरा में तैनात डीएम इनायत ख़ान की। इनायत ख़ान शहीद के कुनबे की एक एक बेटी को गोद लेने के ऐलान के बाद सुर्ख़ियों का सबब बनी थीं. इनायत ख़ान ने पुलवामा में शहीद हुए 2 जवानों की बेटियों को गोद लिया. इनायत ख़ान गोद ली हुई बेटियों का सारा खर्च भी उठा रही हैं. इनायत अपने इस काम के लिए सोशल मीडिया पर काफी तारीफ भी बटोर चुकी हैं

इनायत ख़ान ने पुलवामा हमले में शहीद हुए भागलपुरा के रतन ठाकुर और पटना के संजय कुमार की एक एक बेटी को गोद लेने का ऐलान किया था इसके अलावा उन्होंने अपना दो दिन की तनख्वाह शहीदों के नाम कर दी थी..इसके साथ ही उन्होंने अपने जिले में तैनात अफसरों को भी तनख्वाह दान करने के लिए कहा था और आम लोगों से भी एक दिन की तंख़्वाह देने की ये अपील की।उन्होंने कहा था यही शहीदों के लिए सच्ची ख़़िराजे अक़ीदत होगी

कौन हैं कड़क ऑफिसर इनायत ख़ान

इनायत ख़ान 2012 बैच की बिहार कैडर की IAS अफ़सर हैं और अभी बिहार के शेखपुर में डीएम ओहदे पर तैनात हैं। उन्होंने 2011 में UPSC इम्तिहान में 176वीं रैंक हासिल की थी। वो उत्तर प्रदेश के आगरा की रहने वाली हैं उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। इंजीनियरिंग के बाद उन्होंने एक साल तक सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी भी की लेकिन एक साल बाद ही यह नौकरी उन्होंने छोड़ दी

इंजीनियरिंग से IAS तक का सफर

2007 में इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। मुल्क की नामी गिरामी सॉफ्टवेयर कंपनी में एक साल नौकरी की लेकिन मन में इरादा कुछ और ही था, और IAS की तैयारियों में जुट गईं. साल 2009 में उन्होंने पहली बार IAS का इम्तिहान दिया तीन मराहिल वाले इस मुश्किल इम्तिहान में उन्होंने पीटी मेंस पास किया लेकिन फाइनल क्लीयर नहीं कर पाईं. उनका सेलेक्शन आरआरबी यानि ग्रामीण बैंक में हो गया लेकिन वो हार मानने वालों में से नहीं थीं। इनायत ने दिल्ली के मुखर्जी नगर के पास गांधी विहार में एक कमरा लेकर फिर से IAS की तैयरियों में जुट गईं. साल 2011 में फिर से वो सिविल सर्विस  के इम्तिहान में शामिल हुईं इस बार 176वां मक़ाम मिला और बिहार कैडर की IAS बन गईं

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