मुस्लिम उलमा के साथ केंद्र समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के खिलाफ, जानें सुप्रीम कोर्ट में आज क्या हुआ
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मुस्लिम उलमा के साथ केंद्र समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के खिलाफ, जानें सुप्रीम कोर्ट में आज क्या हुआ

Same Sex Case in SC: सुप्रीम कोर्ट में आज समलैंगिक शादी को मान्यता दिए जाने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस पर मुस्लिम उलमा की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि इस मामले पर राज्यों को भी सुना जाना चाहिए.

मुस्लिम उलमा के साथ केंद्र समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के खिलाफ, जानें सुप्रीम कोर्ट में आज क्या हुआ

Same Sex Case in SC: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर दी है. याचिकाकर्ताओं ने सभी को समानता से जीने का अधिकार देने का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से समलैंगिक विवाह को कानूनी मानयता देने की मांग की है. हालांकि केंद्र सरकार ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कहा है कि यह कोई ऐसा विषय नहीं है जिस पर कमरे में बैठकर पांच लोग पूरे समाज के लिए फैसला कर दें.

जज नहीं करते पूरे देश का प्रतिनिधित्व

सुप्रीम कोर्ट में जैसे ही सुनवाई शुरू हुई तो केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश हुए सॉलीसीटर जनरल सुषार मेहता ने केंद्र की तरफ से आपत्ति पर विचार की मांग की. उन्होंने कहा कि अदालत शादी की नई संस्था नहीं बना सकती. उन्होंने तर्क दिया कि यहां पर मौजूद वकील और जज पूरे देश का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि हम नहीं जानते कि इस मामले पर दक्षिण भारत का एक किसान और उत्तर भारत का एक किसान इस पर क्या सोचता है. इस पर विचार के लिए संसद ही सही जगह है. 

उलमा ए हिंद है खिलाफ

इस पर अदालत ने कहा कि पहले याचिकाकर्ता की बात सुनी जाएगी. उन्होंने कहा कि जब केंद्र सरकार को जवाब देने का मौका आएगा तब वह अपनी बात रख सकते हैं. समलैंगिक विवाह की मुखालफत कर रहे जमीयत उलेमा ए हिंद की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि "शादी विवाह से जुड़े कानून संविधान की समवर्ती सूची में आते हैं. इसलिए, इसके बारे में राज्य सरकारों को भी सुना जाना चाहिए."

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अधिकार न मिलने से लोगों को होती है दिक्कत

समलैंगिक विवाह के पक्ष में पेश हुए वकील ने कहा कि "समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता न होने के चलते समलैंगिक जोड़े बहुत से कानूनी अधिकार हासिल नहीं कर पा रहे हैं. वह जिस पार्टनर के साथ जिंदगी बिता रहे हैं, उसके नाम वसीयत नहीं कर सकते, उसे अपने बैंक अकाउंट में नॉमिनी नहीं बना सकते, उसका जीवन बीमा नहीं करा सकते. इन बातों पर विचार किया जाना चाहिए."

कई देशों में है मान्य

याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि "स्पेशल मैरिज एक्ट में दो लोगों के बीच विवाह की बात कही गई है. इसे स्त्री या पुरुष की ही शादी के तौर पर देखना जरूरी नहीं है. कानून की हल्की व्याख्या से समलैंगिक जोड़ों को राहत मिल जाएगी. 31 देशों में Same Sex Marriage को मान्यता दी गई है."

बच्चों के गोद लेने को दी जाए कानूनी मान्यता

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस मामले में स्पेशल मैरिट एक्ट के दायरे में बात करना सही होगा. धर्मों के पर्सनल लॉ समलैंगिकता को गलत मानते हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि समलैंगिक विवाह में बच्चों के गोद लेने के इजाजत देनी होगी. 

आपको बता दें कि मुस्लिम तंजीम जमीयत उलमा-ए-हिंद समलैंगिक विवाह की मुखाफत करता है. उनका कहना है कि शादी दो लोगों के मुलन के आलावा भी बहुत कुछ है. शादी की एक नई संस्था पैदा नहीं की जा सकती है. 

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