Parliamentary Standing Committee report: संसद की एक स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया है कि भारत के 257 थानों में वाहन और 638 थानों में फोन की सुविधा (No facilities of phone and vehicles in Police Stations) नहीं है.
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नई दिल्लीः अपराध नियंत्रण के लिए जरूरी है कि पुलिस व्यवस्था को आधुनिक सुविधाओं से लैस किया जाए. लेकिन ये जानकर आपको हैरानी होगी कि देश में इस वक्त में ऐसे ढेर सारे पुलिस थाने हैं, जहां आज भी न वाहन है और न वहां टेलीफोन की व्यवस्था हो पाई (No facilities of phone and vehicles in Police Stations) है. संसद की एक स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट ( Parliamentary Standing Committee report) में इस बात का खुलासा किया है. संसद की एक स्थाई समिति ने बृहस्पतिवार को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश में 257 थानों में वाहन नहीं हैं और 638 में टेलीफोन की सुविधा नहीं हैं.
आनंद शर्मा की अध्यक्षता में गठित की गई थी समिति
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मंत्रालय संबंधी स्थाई समिति ने कहा कि एक जनवरी, 2020 की स्थिति के मुताबिक, देश में 16,833 थानों में से 257 थानों में वाहन नहीं है, 638 थानों में टेलीफोन नहीं है और 143 थानों में वायरलैस या मोबाइल फोन नहीं हैं. समिति ने कहा कि उसकी राय है कि आधुनिक पुलिस प्रणाली में सुदृढ़ संचार समर्थन, अत्याधुनिक उपकरण और त्वरित कार्रवाई के लिए अत्यधिक गतिशीलता जरूरी है.
ऐसे राज्यों में पंजाब और कश्मीर जैसे संवेदनशील राज्य में शामिल
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 21वीं सदी में भी भारत में खासकर अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और पंजाब जैसे अनेक संवेदनशील राज्यों में थाने बिना टेलीफोन या उचित वायरलैस कनेक्टिविटी के हैं, जबकि इनमें से कुछ राज्यों को 2018-19 में बेहतर प्रदर्शन प्रोत्साहन के लिए सम्मानित किया गया है. समिति ने कहा, ‘‘‘जम्मू कश्मीर जैसे बहुत संवेदनशील सीमावर्ती केंद्रशासित प्रदेश में भी ऐसे थाने बड़ी संख्या में हैं, जिनमें टेलीफोन और वायरलैस सेट नहीं हैं.’’
समिति ने गृह मंत्रालय से की सिफारिश
रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने सिफारिश की है कि गृह मंत्रालय ऐसे राज्यों को सलाह दे सकता है कि उनके थानों में पर्याप्त वाहन और संचार उपकरणों की व्यवस्था की जाए, अन्यथा केंद्र से आधुनिकीकरण के लिए अनुदानों को हतोत्साहित किया जा सकता है. समिति ने कहा, ‘‘केंद्रशासित प्रदेशों के लिए गृह मंत्रालय यह सुनिश्चित कर सकता है कि जल्द से जल्द आवश्यक कदम उठाये जाएं।’’
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