"हिजाब पहनना आस्था का प्रतीक है, न कि धार्मिक कट्टरता का प्रदर्शन"
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"हिजाब पहनना आस्था का प्रतीक है, न कि धार्मिक कट्टरता का प्रदर्शन"

HIJAB Controversy: उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की इन मुस्लिम छात्राओं की जानिब से पेश वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने पीठ के समक्ष कहा कि अनुच्छेद 25 अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है. 

अलामती तस्वीर
अलामती तस्वीर

बेंगलुरु: हिजाब पर प्रतिबंध के खिलाफ कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख करने वाली मुस्लिम छात्राओं ने मंगलवार को तर्क दिया कि स्कार्फ पहनना आस्था का प्रतीक है, न कि धार्मिक कट्टरता का प्रदर्शन. उन्होंने उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ से छात्राओं को हिजाब पहनकर कक्षाओं में जाने की छूट देने का भी अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि अदालत ने अपने अंतरिम आदेश के जरिये उनके ’मौलिक अधिकारों’ को निलंबित कर दिया है.

अंतःकरण की स्वतंत्रता शब्द में बहुत गहराई है
उडुपी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की इन मुस्लिम छात्राओं की जानिब से पेश वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने पीठ के समक्ष भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का जिक्र करते हुए कहा कि इस अनुच्छेद में ’अंतःकरण की स्वतंत्रता’ की बात कही गई है. कामत ने उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ से कहा कि इस (अंतःकरण की स्वतंत्रता) शब्द में बहुत गहराई है. अनुच्छेद 25 का सार यह है कि यह आस्था की रक्षा करता है, न कि धार्मिक पहचान या कट्टरता के प्रदर्शन की. अनुच्छेद 25 के अनुसार अंतःकरण की और धर्म की अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता से संबंधित है.

माथे पर तिलक या सिंदूर लगाना उसी तरह की आस्था
मुस्लिम लड़कियों ने कर्नाटक सरकार के 5 फरवरी के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें छात्रों को ऐसी पोषाक पहनने से प्रतिबंधित किया गया है जो शांति, सद्भाव और कानून व्यवस्था को बिगाड़ सकते हैं. वकील के मुताबिक, रुद्राक्ष पहनना या नामा (माथे पर तिलक या सिंदूर) लगाना उसी तरह की आस्था है. इसके तहत लोग परमात्मा द्वारा संरक्षित और ईश्वर के साथ जुड़ाव महसूस करते हैं. उन्होंने कहा कि उस (हिजाब) का मुकाबला करने के लिए, अगर कोई शॉल (भगवा शॉल) पहनता है, तो उन्हें यह दिखाना होगा कि क्या यह केवल धार्मिक पहचान का प्रदर्शन है या यह कुछ और है. क्या इसे हमारे वेदों, उपनिषदों द्वारा हिंदू धर्म द्वारा अनुमोदित किया गया है.

हिजाब पहनकर कक्षा में प्रवेश नहीं मिला, लड़की ने छोड़ी परीक्षा
कर्नाटक में मंगलवार को हिजाब पर विवाद जारी रहा और कुछ स्थानों पर हिजाब पहने आई लड़कियों को स्कूलों में प्रवेश नहीं दिया गया. ऐसी ही एक घटना में हिजाब पहनकर कक्षा में प्रवेश नहीं दिए जाने पर एक लड़की ने परीक्षा छोड़ दी. छात्राओं के आक्रोशित अभिभावकों को स्कूल प्रशासन और पुलिस से तीखी बहस करते देखा गया. एक जगह पर एक छात्र द्वारा भगवा स्कार्फ लहराने की घटना भी सामने आई.

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