जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-i-Hind) के सदर मौलाना अरशद मदनी (Arshad Madani) का कहना है कि जमीयत जाति,धर्म और समुदाय से ऊपर उठ कर काम करता है.
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नई दिल्ली: जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-i-Hind) की तरफ़ से तालीमी साल 2020-21 के लिए कुल 656 मुस्लिम और गैर-मुस्लिम छात्रों को आला तालीम के लिए स्कालरशिप जारी करने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इस बार अहम बात ये है कि स्कालरशिप हासिल कारने वालों में बड़ी तादाम में गैर मुस्लिम छात्रों को भी शामिल किया गया है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulama-i-Hind) का कहना है इस बार जरूरतमंद छात्रों की तादाद को देखते हुए अनुदान सहायता राशि को 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया गया है.
इस मौके पर अपने ख़याल का इज़हार करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सैयद अरशद मदनी (Arshad Madani) ने कहा कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद का इतिहास गवाह रहा है कि जमीयत ने हमेशा जाति,समुदाय और धर्म से ऊपर उठ कर काम किया है.
उन्होंने मज़ीद कहा कि स बात पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि गैर-मुस्लिम छात्रों को भी इस आयोजन के लिए चुना गया है, बल्कि यह हमारे लिए खुशी की बात है कि हमारी ये छोटी सी कोशिश कई गैर-मुस्लिम जरूरतमंद छात्रों को अपना भविष्य बनाने में मदद फ़राहम करेगी. ऐसा करते हुए, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने हम वतन भाइयों को संदेश देने की कोशिश की है कि चाहे जो भी परिस्थितियां हों, हम अपने बुजुर्गों की परंपरा और सिद्धांतों से दूर नहीं होते हैं. हमारे बुजुर्गों ने हर युग में बिना भेदभाव के काम किया है और राष्ट्रीयता उनका मुख्य मिशन भी रहा है.
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मौलाना मदनी ने कहा कि पैसे की कमी के कारण स्कूल छोड़ चुके छात्रों को जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने स्कालरशिप देने का फैसला किया.
उन्होंने कहा कि जिस तरह से गैर मुस्लिम छात्रों ने इस बार छात्रवृत्ति के लिए आवेदन किया है, वह बहुत ही स्वागत योग्य है और गैर-मुस्लिम छात्र भविष्य में छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करना जारी रख सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि अगर मेरिट सूची में उनका नाम आता है तो उन्हें छात्रवृत्ति दी जाती रहेगी क्योंकि जमीयत उलेमा-ए-हिंद बिना किसी धार्मिक या व्यावसायिक भेदभाव के धर्मार्थ कार्य करती है.
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बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने 2012 से माली एतबार से कमजोर और जरूरतमंद लेकिन प्रतिभाशाली और मेहनती छात्रों को स्कालरशिप देने का सिससिला शुरू किया है. इसके लिए मौलाना अरशद मदनी पब्लिक ट्रस्ट ने रस्मी तौर पर एकतालीमी स्पोर्ट फंड की बुनियाद रखी और शिक्षा विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया.
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