Kairana News: यूपी में 19 अप्रैल को पहले चरण के मतदान में कुछ कैंडिडेट अपने परिवारों की राजनीतिक विरासत को बचाने की कोशिश करेंगे. इन कैंडिडेट्स के परिवार दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं.
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Kairana News: उत्तर प्रदेश में शुक्रवार यानी 19 अप्रैल को पहले चरण के मतदान में कुछ कैंडिडेट अपने परिवारों की राजनीतिक विरासत को बचाने की कोशिश करेंगे. इन कैंडिडेट्स के परिवार दशकों से राजनीति में सक्रिय हैं, लेकिन कुछ सालों में उनकी राजनीतिक किस्मत कुछ हद तक डूब गई है. इन चुनावों में इन परिवारों की युवा पीढ़ी अपने परिवार की प्रतिष्ठा को फिर से स्थापित करने के लिए एकजुट होकर कोशिश कर रही है.
इकरा हसन बचा पाएंगी परिवार की राजनीतिक विरासत?
ब्रिगेड की अगुआई इकरा हसन कर रही हैं, जो समाजवादी टिकट पर कैराना सीट से इलेक्शन लड़ रही हैं. उनके दादा अख्तर हसन, पिता मुनव्वर हसन और मां तबस्सुम हसन कई बार इस सीट से जीत चुके हैं. उनके भाई नाहिद हसन कैराना विधानसभा सीट से दूसरी बार सपा विधायक हैं, लेकिन हाल ही में जमानत मिलने तक उन्होंने पिछले कुछ साल जेल में बिताए हैं.
इकरा हसन साल 2022 में यूपी विधानसभा इलेक्शन की चुनावी मैदान में उतरीं, जब उन्होंने जेल में बंद अपने भाई नाहिद हसन के लिए चुनाव का प्रचार किया और सीट पर उनकी जीत सुनिश्चित की. इस बार इकरा हसन चुनावी मैदान में हैं और उनका मुकाबला बीजेपी कैंडिडेट प्रदीप चौधरी से है. कैराना लोकसभा सीट से मौजूदा भाजपा सांसद प्रदीप चौधरी को राष्ट्रीय लोक दल भी समर्थन दे रहा है, जो अब NDA का हिस्सा है. इस सीट पर 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है.
पीलीभीकत से इलेक्शन लड़ रहे हैं जितिन प्रसाद
वहीं, यूपी के मंत्री जितिन प्रसाद हैं, जो प्रतिष्ठित पीलीभीत लोकसभा सीट से इलेक्शन लड़ रहे हैं. मंत्री जितिन प्रसाद कांग्रेस के पूर्व दिग्गज जीतेंद्र प्रसाद के बेटे हैं और उन्हें उस सीट को बरकरार रखने का काम दिया गया है, जिसे गांधी परिवार, मेनका और वरुण गांधी का गढ़ माना जाता है. बीजेपी ने वरुण को टिकट नहीं दिया गया है और जितिन प्रसाद को अपना कैंडिडेट बनाया.
साल 2009 में, प्रसाद ने धौरहरा से इलेक्शन लड़ा और जीता. हालांकि, वह उसी लोकसभा सीट से 2014 और 2019 का इलेक्शन वो हार गए. जितिन प्रसाद 2021 में बीजेपी में शामिल हुए और उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया गया और योगी कैबिनेट में फिलहाल मंत्री हैं.