Kanti Assembly Election 2025: 2020 में 15 साल बाद आरजेडी ने सीमांचल में वापसी की थी. अब फिर मुकाबला इजराइल मंसूरी बनाम जेडीयू का है. सवाल है कि क्या मंसूरी दोबारा जीत दर्ज करेंगे या जेडीयू अपना पुराना किला वापस हासिल करेगी.
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Kanti Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मतदान में कुछ ही दिन बाकी है. इस बीच, मुजफ्फरपुर ज़िले की कांटी विधानसभा सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. यह विधानसभा सीट वैशाली लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. यह विधानसभा क्षेत्र कांटी और मरवां सामुदायिक विकास खंडों को मिलाकर बना है. इस सीट पर कभी कांग्रेस का दबदबा था, लेकिन वक्त साथ राज्य की पार्टियों का वर्चस्व कायम हो गया.
इसराइल मंसूरी ने मारी थी बाजी
पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में राजद उम्मीदवार इसराइल मंसूरी ने जदयू के मो. जमाल को हराकर सीट अपने नाम की थी. इस चुनाव में पूर्व मंत्री अजीत कुमार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इससे पहले 2015 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार अशोक कुमार चौधरी ने हम पार्टी के अजीत कुमार को हराया था.
मुस्लिम वोटर्स की भूमिका
जातीय समीकरण की बात करें तो कांटी विधानसभा में यादव, कुर्मी, राजपूत और कोरी समुदायों की बड़ी आबादी है, जबकि भूमिहार, मुस्लिम और पासवान मतदाता भी यहां के चुनावी परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं, इस बार कांटी में 13 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. जदयू ने अजित कुमार को उतारा है, जबकि राजद ने इसराइल मंसूरी और जन सुराज पार्टी ने सुदर्शन मिश्रा को अपना प्रत्याशी बनाया है.
क्यों मशहूर है कांटी
इस क्षेत्र की प्रमुख पहचान कांटी थर्मल पावर प्लांट और मां छिन्नमस्तिका मंदिर से है. हालांकि, स्थानीय जनता की प्रमुख समस्याओं में थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राख (छाई) और ग्रामीण सड़कों के निर्माण की मांग प्रमुख रूप से शामिल है. कांटी विधानसभा क्षेत्र में स्थित मां छिन्नमस्तिका मंदिर सिद्ध पीठ के रूप में विख्यात है. यहां सालभर भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, जबकि शारदीय नवरात्र के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना और भव्य मेले का आयोजन होता है. यह मंदिर देश का दूसरा और बिहार का एकमात्र छिन्नमस्तिका माता का मंदिर माना जाता है.
इनपुट-आईएएनएस