Video: एक ही पंडाल में देखने को मिली भगवान गणेश की मूर्ती और मुहर्रम की निशानियां
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Video: एक ही पंडाल में देखने को मिली भगवान गणेश की मूर्ती और मुहर्रम की निशानियां

धारवाड़ जिले का हुबली सूफी संतों को लेकर एक खास पहचान रखता है. जहां के लोग सालों से बिला किसी तफरीक के हर त्योहार मिल जुल कर मनाते हैं. 

Video: एक ही पंडाल में देखने को मिली भगवान गणेश की मूर्ती और मुहर्रम की निशानियां

कर्नाटक: 'गूंजे कहीं पे शंख कहीं पर अज़ान हो, जब जिक्रे एकता हो तो हिन्दुस्तान हो'. कर्नाटक के हुबली में उर्दू के इस मशहूर शेर की तर्जुमानी करने वाली कुछ तस्वीरें आई है. यहां पर एक ही पंडाल में भगवान गणेश के मूर्ती और मुहर्रम की निशानियां रखी गई हैं. त्योहारों के इस मुल्क में जब भी दो मज़हब के त्योहार एक साथ पड़ते हैं तो इंतेज़ामियां परेशान हो जाता है लेकिन ऐसे हालात में हुबली के विरानल गांव के लोगों ने मुल्क के लिए आपसी भाईचारे की एक नई राह हमवार की है.

धारवाड़ जिले का हुबली सूफी संतों को लेकर एक खास पहचान रखता है. जहां के लोग सालों से बिला किसी तफरीक के हर त्योहार मिल जुल कर मनाते हैं. मुल्क के नफरत भरे हालात में इसी गांव के नौजवानों ने इसकी शुरूआत की थी. जो आज मुल्क के लिए एक तरह से मिसाले राह बनती जा रही है. एक तरफ जहां मौलाना ज़ाकिर काज़ी हिन्दु-मुस्लमान की जगह हिन्दुस्तान की बात करने पर जोर देते हैं. वहीं मोहन का कहना है कि ये रिवायत पूरे मुल्क में नाफिज करनी चाहिए.

आपसी भाईचारे और कसरत में वहद ही हिन्दुस्तान की असल पहचान है. बदले हालात में कुछ नफरती अनासिर भले ही इस शिनाख्त पर चोट पहुंचाने की नाकाम कोशिश में हैं लेकिन मुल्क की अकसरियत आबादी आज भी उसी हिंदुस्तान को कायम रखना चाहती है. जिसके बूते हमारे बुज़ुर्गों ने फिरंगियों की दो सौ साल की हुकूमत को वापस जाने पर मजबूर कर दिया था.

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