कौन सुनेगा कर्नाटक के बस मालिकों का दर्द, हुकूमत के दावों को बताया झूठ का पुलिन्दा
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कौन सुनेगा कर्नाटक के बस मालिकों का दर्द, हुकूमत के दावों को बताया झूठ का पुलिन्दा

लॉकडाउन के बाद शुरू हुए ट्रांसपोर्ट के सवाल पर बस मालिक और ड्राईवरों का कहना है कि बसों पर आने वाले खर्च पहले जैसे ही है लेकिन आमदनी आधी से भी कम हो गई है

प्रतीकात्मक तस्वीर

कर्नाटक/मासूम सिद्दीकी: कोरोना की वजह से मुल्क में नाफिज किये गये लॉकडाउन का ज़ख्म आज भी लोग झेलने पर मजबूर हैं. कर्नाटक में प्राईवेट बस ऑपरेटर्स का कहना है कि वे बर्बाद हो चुके हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं हैं. हुकूमत के राहती दावों को झूठ का पुलिन्दा बताते हुए बस मालिकों में काफी गुस्सा देखा जा रहा है. उनका कहना है कि ईएमआई और बैंक के लोन को तो छोड़िये गाड़ियां खड़ी होने के बावजूद भी रोड टेक्स के बिल लगातार आ रहे हैं.

अनलॉक के बाद के हालात
लॉकडाउन के बाद शुरू हुए ट्रांसपोर्ट के सवाल पर बस मालिक और ड्राईवरों का कहना है कि बसों पर आने वाले खर्च पहले जैसे ही है लेकिन आमदनी आधी से भी कम हो गई है. कर्नाटक ट्रेवेल ऑपरेटर्स एसोसिएशन के चेयरमैन नटराज शर्मा बताते है कि सड़कों पर न तो मुसाफिर हैं और नहीं हुकूमत की जानिब से कोई राहत दी जा रही है. इस दौरान तकरीबन आठ महीनों से खड़ी बसों के हालात इतनी खराब हो गई है कि इन्हें सड़क पर चलाने से पहले लाखों खर्च करने पड़ रहे हैं. जबकि उनके पास अपनी जरूरत को पुरा करने तक के लिए भी पैसे नहीं बचे हैं.

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