Pahalgam Attack: Pahalgam Terror Attack में कश्मीरी युवक सज्जाद अहमद भट ने घायल सैलानियों को बचाकर इंसानियत की मिसाल पेश की. जानें उन्होंने क्या-क्या कहा?
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Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरे मुल्क को झकझोर कर रख दिया. इस हमले में 27 बेकसूर सैलानियों की जान चली गई और कई लोग गंभीर रूप से जख्मी भी हो गए. चारों तरफ चीख-पुकार मची थी, लोग इधर-उधर भाग रहे थे. डर और दहशत का माहौल था. इसी दौरान लोग जान बचाने की कोशिश कर रहे थे, तभी कश्मीरी के पहलगाम का रहने वाला Sajad Ahmad Bhat फरिश्ता बनकर आया और वह अपनी बहादुरी से कई लोगों की जान बचाकर इंसानियत की मिसाल पेश की.
Sajad Ahmad Bhat पेशे से एक स्थानीय गाइड और शॉल के व्यापारी हैं. हमले के दौरान सज्जाद ने खून से लथपथ सैलानियों को अपने पीठ पर लादकर सुरक्षित जगह पर पहुंचाया और पानी भी पिलाया. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें Sajad Ahmad Bhat को देखा जा सकता है कि वह एक जख्मी सैलानी को अपनी पीठ पर उठाकर दौड़ते हुए अस्पातल ले जाते नजर आ रहे हैं.
सैलानियों के जान बचाने वाली कश्मीरी शख्स ने क्या कहा?
न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए Sajad Ahmad Bhat ने बताया कि जैसे ही उन्हें हमले की जानकारी मिली, वे फौरन मदद के लिए निकल पड़े. पहलगाम पोनी एसोसिएशन के अध्यक्ष अब्दुल वहीद वान ने अपने व्हाट्सएप ग्रुप में घटना की जानकारी दी थी, जिसके बाद सज्जाद और उनके साथियों ने घटनास्थल की ओर रुख किया. सज्जाद ने कहा, "हम दोपहर करीब 3 बजे वहां पहुंचे. वहां का मंजर बेहद डरावना था. लोग चीख रहे थे, मदद के लिए पुकार रहे थे. हमने घायलों को पानी पिलाया और जो लोग चल नहीं सकते थे, उन्हें उठाकर सुरक्षित जगह पहुंचाया."
#WATCH | Pahalgam, J&K | In a viral video on social media, Sajad Ahmad Bhat, a shawl hawker from Pahalgam, can be seen carrying a tourist injured in the #PahalgamTerroristAttack to safety on his back.
He says, "... The Pahalgam Poney Association president, Abdul Waheed Wan,… pic.twitter.com/cBNTFu3LDA
— ANI (@ANI) April 24, 2025
पहले इंसानियत फिर मजहब- सज्जाद अहमद भट्ट्
उन्होंने आगे कहा, "मेरे लिए सबसे पहले इंसानियत है. जब हमारे यहां मेहमान आते हैं, तो उनके बिना हमारे घरों में रौनक नहीं होती. उनकी वजह से ही हमारे घरों के चूल्हे जलते हैं. उन्हें इस तरह दर्द में तड़पता देखकर मेरी आंखों में आंसू आ गए." सज्जाद ने बताया कि उन्हें अपनी जान की बिल्कुल परवाह नहीं थी. अगर हम मदद नहीं करते तो हमारा ज़मीर हमें कभी माफ नहीं करता. मजहब बाद में आता है, पहले इंसानियत है."