यहां रहने वालों के लिए तो यह रोज़ की बात है लेकिन बाहर से आने वालों के लिए पहाड़ के टेढे मेढ़े रास्तों पर कशई किलोमीटर पैदल चलना टेढ़ी खीर है लेकिन एलजी मनोज सिन्हा ने ये रास्ते तय किये.
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राजौरी: जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा राजौरी के तरकस्सी और धर साकरी गांव पहुंचे, जहां के गुज़िश्ता दिनों तीन मजदूरों (अबरार अहमद, मोहम्मद इबरार और इम्तियाज अहमद) को शोपियां में गलत जानकारी की वजह से मार गिराया गया था. तीनों बेकसूर मजदूरों के परिवार से मुलाकात के दौरान एलजी ने तीनों की मौत पर अफसोस और गम का इज़हार किया. एलजी ने कहा कि तीनों बच्चों के परिवार वालों को पूरा इंसाफ मिलेगा. एलजी ने आगे कहा कि वे यहां वज़ीरे आज़म मोदी का पैगाम लेकर आये हैं. मोदी हुकूमत कभी भी किसी के साथ नाइंसाफी नहीं करती.
मुतास्सिर परिवार राजौरी के दूर दराज के इलाके तरकस्सी और धर साकरी में रहते हैं. जो पहाड़ के ऊपरी हिस्से में है. यहां रहने वालों के लिए तो यह रोज़ की बात है लेकिन बाहर से आने वालों के लिए पहाड़ के टेढे मेढ़े रास्तों पर कशई किलोमीटर पैदल चलना टेढ़ी खीर है लेकिन एलजी मनोज सिन्हा ने ये रास्ते तय किये. पहले तो कई किलमोमीटर का सफर उन्होंने बस में तय किया फिर 500 मीटर की चढ़ाई चढ़कर गांव पहुंचे. बिना किसी मदद के. उनके इस तरह गांव पहुंचने से मुतास्सिर परिवार वालों के साथ साथ इलाके के लोग भी बेहद खुश नज़र आये.
क्या है पूरा वाक्या
दरअसल कश्मीर के शोपियां जिले के अमशीपोरा में 18 जुलाई 2020 को सिक्योरिटी फोर्सेस के साथ एनकाउंटर में तीन नौजवान मारे गए थे. इनकी शिनाख्त बाद में मजदूर अबरार अहमद, इम्तियाज अहमद और मोहम्मद इबरार के तौर पर हुई. सिक्योरिटी फोर्सेस ने पहले इनके मिलिटेंट होने का दावा किया था और उनकी लाश भी वहीं दफना दी. दो दिन बाद राजौरी के तीन परिवार वालों ने दावा किया मारे गए तीनों नौजवान मिलिटेंट नहीं बल्कि उनके बेटे हैं जो मजदूरी करने शोपियां गए थे.
इसके बाद फौज और पुलिस दोनों ने मामले की जांच शुरू कर दी. तीनों नौजवानों का डीएनए परिवार वालों से मिलाया गया जो सही पाया गया. फौज की जानिब से बयान जारी किया गया कि मुखबिरों की जानिब से गलत जानकारी मिलने की वजह से हुए एनकाउंटर में अफस्पा कानून यानी आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर एक्ट की खिलाफवर्जी हुई है.
पुलिस की जानिब से कहा गया कि उन दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है जिन्होंने फौज को गलत इत्तेला दी थी. जिन घरों ने अपने बच्चों को खोया है उसकी भरपायी तो अब नहीं हो सकती लेकिन सरकार और इंतजामिया ज़ख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश जरुर कर रही है. भले ही सरकार और इंतजामिया इन परिवार वालों के ज़ख्मों पर मरहम लगा रही हो लेकिन परिवार के लोगों ने जिस सब्र से काम लिया है उसकी भी तारीफ होनी चाहिए.
इंतजामिया की जानिब से मुतास्सिर परिवार की हर तरह से मदद की जा रही है. यह बात खुद कुनबे के लोगों ने कई बार कहा है. मामले में कानूनी कार्रवाई भी जारी है. उम्मीद है कि गुनहगारों को सख्त से सख्त सज़ा दी जायेगी ताकि आगे इस तरह की गलती दोबारा न दोहराई जाये.
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