उत्तर प्रदेश हुकूतम के नए आदेश के मुताबिक, अब तंबाकू और इस तरह के उत्पादों को बेचने के लिए नगर निगम से लाइसेंस लेना होगा.
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी हुकूमत ने फैसला किया है कि रियासत में अब सिर्फ उन्हीं वेंडर्स को तंबाकू, सिगरेट और खैनी वगैरह बेचने की इजाज़त होगी जिनके पास लाइसेंस होंगे. हुकूमत ने ये फैसला तंबाकू की बढ़ती समस्या और लोगों के सेहत को इससे होने वाले खतरों को ध्यान में रखते हुए लिया है. अब उत्तर प्रदेश में तंबाकू, सिगरेट, बीड़ी, खैनी वगैरह बैचना मुश्किल हो जाएगा.
हुकूतम के नए आदेश के मुताबिक, अब तंबाकू और इस तरह के उत्पादों को बेचने के लिए नगर निगम से लाइसेंस लेना होगा. हुकूमत का मानना है कि लाइसेंसिंग जरूरी करने से तंबाकू को काबू करने के लिए लागू नियत मुअस्सिर तौर पर नाफ़िज़ होंगे.
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CM योगी ने किया इस उम्मीद का इज़हार
वज़ीरे आला योगी ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि दूसरी रियासत भी उत्तर प्रदेश हुकूमत के इस पहल को अपनाएगी और और लोगों, खासकर बच्चों को तंबाकू से महफू़ज़ ज़िंदगी फराहम करेगी. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने तमाम रियासती हुकूमतों को एक एडवाइजरी लेटर भेजकर तंबाकू वेंडर्स की लाइसेंसिंग नगर निगम से कराने की सिफारिश की है. इसमें कहा गया है कि लाइसेंस में यह शर्त शामिल करना मुनासिब होगा कि तंबाकू उत्पाद बेचने वाली दुकानें गैर तंबाकू उत्पाद जैसे टॉफी, कैन्डी, चिप्स, बिस्कुट, शीतल पेयर वगैरह नहीं बेच पाएंगी.
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21 साल से कम उम्र के लोगों को नहीं मिलेगी की इजाज़त
यूपी हुकूमत के आदेश के मुताबिक, अब 21 साल से कम उम्र के लोगों को तंबाकू उत्पादों की बिक्री की इजाज़त नहीं दी जाएगी.
गौरतलब है कि भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय की तरफ से करवाए गए ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 35.5 फीसदी बालिग (15 साल और ऊपर) किसी न किसी रूप में तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं. तंबाकू के इस्तेमाल की वजह से होने वाली बीमारी की कुल बिल-वास्ता और बिला-वास्ता लागत 182,000 करोड़ रुपए है जो मुल्क की GDP का करीब 1.8 फीसदी है.
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