Irshad Khan Sikander: मशहूर उर्दू साहित्यक, नाटककार और संगीतकार इरशाद खान सिंकदर का 18 मई की शाम तकरीबन 6 बजे हार्ट अटैक से इंतकाल हो गया है. इसकी जानकारी इरशाद खान के बेटे और बहन ने फैसबुक पर पोस्ट कर शेयर की है.
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Irshad Khan Sikander: हिन्दुस्तान के उर्दू साहित्य के जादूगर इरशाद खान सिंकदर ने इतवार यानी कि 18 मई की शाम तकरीबन 6 बजे दुनिया को अलविदा कह दिया है. मशहूर गायक और शायर को कल शाम हार्ट अटैक आया, जिसके बाद उनका इंतकाल हो गया. इसकी जानकारी इरशाद खान के बेटे ने पोस्ट कर शेयर की है.
सोशल मीडिया के फैसबुक प्लेटफॉर्म पर इरशाद खान की बहन और बेटे अरमान ने पोस्ट कर फैंस को इस बात की जानकारी दी हैं,
अरमान ने लिखा है, "बड़े अफ़सोस के साथ आप सभी को इत्तला दे रहा हूं कि जनाब इरशाद खान सिंकदर साहब का इंतक़ाल 18 मई 2025 को शाम 6:00 बजे हुआ था, आज 19 मई 2025 को मुस्लिम क़ब्रिस्तान कोटला विलेज मयूर विहार में सुबह 10 बजे सुपुर्द-ए -खाक किया जाएगा." इस पोस्ट के बाद उर्दू साहित्य और कला में सन्नाटा छा गया है.
इरशाद खान की आवाज और शायरी की जुगलबंदी के बहुत से लोग दीवाने थे. वह नई पीढ़ी के शायरों में बुलंद आवाज थे. इरशाद खान शायरी के साथ-साथ नाटक के लिए भी जाने जाते हैं. इरशाद खान ने आखिरी गजल 'चाँद के सिरहाने लालटेन' लिखी है, जिसकी पोस्ट भी उन्होंने फैसबुक पर शेयर की थी.
उर्दू और हिन्दी के अलावा भोजपूरी में भी नाम
इरशाद खान ने शायरी और नाटक के अलावा कई फिल्मों के लिए गाना भी लिखा है. उनका लिखा शायराना नाटक 'जॉन एलिया है जिन्न' को लोगों ने बहुत पसंद किया है. हिन्दी और उर्दू के अलावा इरशाद खान ने भोजपूरी के लिए भी काम किया था. इरशाद खान की पैदाइश 8 अगस्त 1983 में उत्तर-प्रदेश के संत कबीर नगर में हुई थी. बहुत कम उम्र में ही इरशाद खाने ने हिन्दी, उर्दू और भोजपूरी में अपना एक आला मुकाम हासिल किया था.
इंटरनेशनल शिवना कविता अवार्ड
इरशाद खान को नाटक 'ठेके पर मुशायरा' से पहचान मिली थी, जिसे दिलीप गुप्ता ने डॉयरेक्ट किया था. ऐसा माना जाता है कि यह नाटक लोगों में एक नया टेस्ट लेकर आया है. इरशाद खान ने कई शायरी और गजल लिखी है. उनके गजल 'आसुओं का तजुर्मा' को 'इंटरनेशनल शिवना कविता सम्मान' से नवाजा गया था.