मनीष सिसोदिया ने डी डिजिटल के मंच पर खुलासा किया है कि उन्हें दिल्ली के स्कूलों का कायाकल्प करने के लिए किसने प्रेरित किया है. इसके अलावा उन्होंने शिक्षा से जुड़े कई अहम मुद्दों पर बात की.
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नई दिल्ली: दिल्ली का स्कूल मॉडल पूरे भारत में मशहूर है. इसी को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जी मीडिया के मंच पर बड़ा खुलासा किया है. उन्होंने यह खुलासा एजुफ्यूचर एक्सीलेंस अवॉर्ड्स के मंच जी डिजिटल की ग्रुप एडिटर, पूजा सेठी से बातचीत के दौरान किय. सिसोदिया ने बताया कि उन्हें एक बच्चे ने कहा था कि भारत का मुस्तक़बिल निजी स्कूलों की पढ़ाई में है न कि सरकारी स्कूलों की पढ़ाई में. जिसके बाद ही उन्हें दिल्ली के स्कूलों के मॉडल में बदलाव लाने के लिए काम करना पड़ा.
आपको बता दें कि शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता का प्रदर्शन करने वाले शैक्षिक नेताओं, संस्थानों, शिक्षकों और छात्रों के कोशिशों को स्वीकार करने और उनकी सराहना करने के लिए एजुफ्यूचर एक्सीलेंस अवार्ड्स का आयोजन किया गया था. इस दौरान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री से खास बातचीत की.
मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमारा ध्यान बच्चों की सफलता की बजाए उन्हें नौकरी दिलाने की ओर रहता है. हमें हमारे नजरिया बदलने की ज़रूरत है. इस खास बातचीत के दौरान मनीष सिसोदिया ने हैप्पिनेस क्लासेस को लेकर भी बातचीत की. आपको बता दें देश की राजधानी दिल्ली में सरकार के ज़रिए 2008 में हैप्पिनेस करिकुलम लॉन्च किया था. यह दिल्ली के 1,030 सरकारी स्कूलों में किंडरगार्टन से कक्षा 8 तक के सभी छात्रों के लिए लाया गया. हर दिन छात्रों के लिए खुशी और स्वास्थ्य को मजबूत करने के दृष्टि से हर दिन 35 मिनट की कक्षा के माध्यम से किया जाता है.
- हैप्पीनेस स्कूल बच्चों में भावनात्मक बदलाव लाए.
- दिल्ली के सरकारी स्कूलों के छात्र जेईई (एडवांस्ड) और एनईईटी पास कर रहे हैं और यहां के शिक्षक आईआईएम और विदेशों में प्रशिक्षित हैं.
- राजनीतिक इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प ने हमें शिक्षा प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने में मदद की है.
- हैप्पीनेस पाठ्यक्रम ने छात्रों की मानसिकता को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
- हैप्पीनेस स्कूल छात्रों / बच्चों के अपने परिवार के प्रति व्यवहार को बदल देता है.