मरकज़ निज़ामुद्दीन के मुद्दे पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जनरल सैक्रेटरी मौलाना महमूद मदनी तबलीगी जमात के बचाव में उतर आए और पूरे मामले पर खड़े हुए फसाद के लिए मीडिया, गैरजिम्मेदार लोगों, पुलिस और इंतेज़ामिया को ही जिम्मेदार ठहरा दिया
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शोएब रज़ा, नई दिल्ली: मरकज़ निज़ामुद्दीन के मुद्दे पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जनरल सैक्रेटरी मौलाना महमूद मदनी तबलीगी जमात के बचाव में उतर आए और पूरे मामले पर खड़े हुए फसाद के लिए मीडिया, गैरजिम्मेदार लोगों, पुलिस और इंतेज़ामिया को ही जिम्मेदार ठहरा दिया. उन्होंने इस तनाज़ा की मज़म्मत करते हुए इल्ज़ाम लगाया कि मीडिया का एक तबका और कुछ गैरज़िम्मेदार लोगों ने एक मज़हब पर तोहमत लगाने की कोशिश की और मामले को मज़हबी रंग दे दिया.
यही नहीं मौलाना महमूद मदनी ने पूरे मामले में तबलीगी जमात का बचाव करने की भी कोशिश की और कहा कि वहां से जो बातें आ रही हैं, उस की रौशनी में किसी एक पर इल्ज़ाम नहीं लगाया जा सकता, पुलिस प्रशासन को भी बराबर का जिम्मेदार क़रार दिया जाना चाहिए. उन्होंने दलील पेश की कि अचानक हुई तालाबंदी से बने हालात में बहुत से लोग जहां थे वहीं फंस गए जिन्हें निकालने की जिम्मेदारी पुलिस और हुकूमती अमले पर थी. मदनी ने मरकज़ निज़ामुद्दीन में फंसे लोगों को निकालने में एक हफ्ते की देरी का ज़िक्र करते हुए नीयत का सवाल भी उठाया. हालांकि उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं कहा कि मरकज़ के लोगों ने खुद पुलिस और इंतेज़ामिया से बात कर खुद को निकालने की गुज़ारिश की या नहीं?
इन तमाम इल्ज़ामात के बाद मौलाना मदनी ने कोरोना वायरस के खिलाफ जारी आज़माइश में मुसलमानों और उनकी मजहबी इदारों की नेकनियती का जिक्र भी किया और कहा कि उन्होंने इस मामले में हुकूमत और महकमा सेहत की हिदायात पर अमल किया और अपने बयानों व सलाह की मारफत लोगों को बार-बार बेदार किया. उनकी अपील पर लोगों ने जुमे की नमाज़ भी मस्जिद में नहीं अदा बल्कि अपने घरों में ज़ोहर की नमाज़ पढ़ी. मुल्क के सभी इस्लामी इदारे, चाहे वे किसी भी मसलक के हों, इस लड़ाई में मुल्क के साथ खड़े हैं. वो इसे कौमी, ज़ाती और मज़हबी जिम्मेदारी समझते हैं.
मौलाना मदनी ने कहा कि जमीअत उलमा- ए- हिन्द मुल्क के ज़िम्मेदार लोगों और मीडिया से इन हालात में अपील करती है कि वे हालात की बारीकियों को समझें और मुसलमानों के खिलाफ गल्त तशहीर करने वालों के खिलाफ खड़े हों. ये इंसानियत से जुड़ा मुद्दा है, जिसमें एक-दूसरे पर इल्ज़ाम लगाने के बजाए हमदर्दी और मदद की ज़रूरत है और यही इस मुल्क की रिवायत भी रही है.
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