मौलाना यासूब अब्बास ने आगे कहा,"हिंदुस्तान एक गुलदस्ते की तरह है, जहाँ हर मज़हब के लोग रहते हैं. यहाँ भजन व अज़ान दोनों होते हैं, हमें हमारे हिंदू भाइयों के भजन की आवाज़ से कोई तकलीफ नहीं है और ना ही हिंदू भाइयों को अज़ान से कोई तकलीफ है.
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लखनऊ: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर-ओ-मारूफ गीतकार जावेद अख्तर (Javed Akhtar) के अज़ान वाले बयान तनाज़ा जारी है. लोग तरह तरह के तबसिरे कर रहे हैं. इसी सिम्त में शिया मज़हबी रहनुमा मौलाना यासूब अब्बास (Maulana Yasoob Abbas) ने जावेद अख्तर के इस बयान को शर्मनाक बताया है. उन्होंने कहा है कि जावेद अख्तर को इस तरह का ट्वीट करने से पहले सोचना चाहिए था. अज़ान से किसी को क्या परेशानी हो सकती है. हिंदुस्तान में अज़ान के साथ-साथ भजन भी होते हैं और किसी को कोई तकलीफ नहीं है. उन्होंने बताया कि मैंने खुद जावेद अख्तर से फोन पर बात कर के उनके बयान को गलत बताया है.
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मौलाना यासूब अब्बास ने आगे कहा,"हिंदुस्तान एक गुलदस्ते की तरह है, जहाँ हर मज़हब के लोग रहते हैं. यहाँ भजन व अज़ान दोनों होते हैं, हमें हमारे हिंदू भाइयों के भजन की आवाज़ से कोई तकलीफ नहीं है और ना ही हिंदू भाइयों को अज़ान से कोई तकलीफ है. मौलाना ने कहा कि अगर बात हो तो फिर सभी मज़ाहिब की होनी चाहिए सिर्फ मुसलमानों को टारगेट करना भी गलत है. इसके अलावा उन्होंने यह भी बताया कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट के ज़रिए जारी गई गाइडलाइन के मुताबिक होता है."
क्या कहा था जावेद अख्तर ने
जावेद अख्तर ने सनीचर को एक ट्वीट करते हुए लिखा था, "हिंदुस्तान में तकरीबन 50 साल तक लाउडस्पीकर पर अज़ान हराम थी. इसके बाद ये हलाल हो गई और इस कदर हलाल हुई कि इसकी कोई हद ही नहीं रही. अज़ान पढ़ना ठीक है लेकिन लाउडस्पीकर पर इसे करना दूसरों के लिए तकलीफ का सबब बन जाती है. मुझे उम्मीद कि कम से कम इस बार वो इसे खुद करेंगे."
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