पाकिस्तान में जन्में धर्मपाल गुलाटी कैसे बने `मसाला किंग`, जानें अब तक का सफर
धर्मपाल गुलाटी ने 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी. इसके बावजूद उन्होंने दिल्ली के करोल बाग में बिजनेस शुरू किया और मसाला व्यापार की दुनिया अपनी एक अलग पहचान बनाई.
नई दिल्लीः दिग्गज मसाला कंपनी महाशिया दी हट्टी (MDH) के मालिक महाशय धर्मपाल गुलाटी का गुरुवार सुबह 5.38 बजे हार्ट अटैक से निधन हो गया. जानकारी के मुताबिक पिछले तीन हफ्तों से महाशय धर्मपाल का दिल्ली के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था. इससे पहले वह कोरोना पॉजिटिव भी पाए गए थे. हालांकि बाद में वह ठीक हो गए थे. बता दें, व्यापार और उद्योग में उनके बेहतरीन योगदान के लिए साल 2019 में उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्मभूषण से सम्मानित किया था.
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पाकिस्तान छोड़ भारत आए थे
'दादाजी' या मसाला किंग के नाम से मशहूर धर्मपाल गुलाटी का जन्म 1923 में पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था. उनके पिता ने सियालकोट में ही 1919 में मसालों का बिजनेस शुरू किया था. धर्मपाल का मन पढ़ाई में नहीं लगता था, इसलिए उन्होंने 5वीं कक्षा पास करने के बाद पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और अपने पिता के साथ मसालों का कारोबार संभालने लगे. 1947 में जब हिंदुस्तान-पाकिस्तान बंटवारा हुआ तो धर्मपाल गुलाटी ने भारत को चुना और अमृत्सर के एक शरणार्थी शिविर में रहने लगे. बाद में उनका परिवार दिल्ली आ गया था.
करोल बाग से शुरू किया बिजनेस
हालात सुधरते ही वह दिल्ली आ गए और करोल बाग में अपना पहला स्टोर खोला. उन्होंने अपनी कंपनी की स्थापना 1959 में की. उसके बाद यह बिजनेस सिर्फ देश में ही नहीं पूरी दुनिया में फैल गया. महाशय गुलाटी इसके बाद दुनिया भर में मसालों के डिस्ट्रीब्यूटर और एक्सपोर्टर बन गए. अब MDH की 15 फैक्ट्रियां हैं जो देशभर में 1000 से ज्यादा डीलर्स को प्रोडक्ट सप्लाई करती हैं. आज के दौर में कंपनी 60 से अधिक प्रोडक्ट्स बना कर 100 से ज्यादा देशों में सप्लाई करती है.
पूरी दुनिया में फैलाया अपना बिजनेस
MDH ब्रिटेन, यूरोप, यूनाइटेड अरब एमीरेट्स और कनाडा जैसे देशों सहित दुनिया के कई हिस्सों में मसाले एक्सपोर्ट करती है. 2019 में भारत सरकार ने उन्हें देश के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से नवाजा था. जानकारी के मुताबिक धर्मपाल गुलाटी अपनी इनकम का 90 प्रतिशत हिस्सा दान कर देते थे.
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