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मो. गुफरान/प्रयागराज: मशरिक (East) के आक्सफोर्ड के नाम से मशहूर इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी का नाम बदलने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. यूनियन ह्यूमन रिसोर्स मिनिस्ट्री (MHRD) ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी (University of Allahabad) का नाम बदलने के लिए तजवीज़ मांगी है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के टीचर और तलबा इसकी मुखालिफत में उतर आए हैं.
दरअसल, उत्तर प्रदेश की योगी हुकूमत की जानिब से इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज किए जाने के बाद यहां के पुराने नाम वाले इदारों और दफ्तरों के नाम बदले जा रहे हैं. इसमें इलाहाबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी का नाम भी शामिल है. MHRD ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी इंतेज़ामिया को खत लिखकर इदारे का नाम प्रयागराज सेंट्रल यूनिवर्सिटी किए जाने के लिए वर्क काउंसिल के मेंबरों की राय समेत एक तजवीज़ मांगी है. इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के टीचर्स और तलबा MHRD की इस तजवीज़ की मुखालिफत में उतर आएं हैं. उनका मानना है की इलाहाबाद यूनिवर्सिटी की अपनी पहचान है, लिहाज़ा इसमें बेवजह दखल नहीं दी जानी चाहिए.
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के टीचर प्रो. राम सेवक दुबे ने कहा की शहर का नाम प्रयागराज किया गया, उससे हमें एतराज नहीं है लेकिन इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का नाम तो इसके जन्म से ही यही है. इसकी पहचान इसी नाम से है, लिहाज़ा इसके साथ खिलवाड़ न किया जाए. हम इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के तलबा या टीचर्स रहे हैं, इस बात पर हमें फख्र भी है.
उन्होंने मिसाल दी कि पहले भी मुल्क के कई शहरों के नाम बदले गए लेकिन वहां मौजूद सालों पुराने तालीमी इदारों का नाम नहीं बदला गया. इसमें मद्रास यूनिवर्सिटी, कलकत्ता यूनिवर्सिटी, बंबई यूनिवर्सिटी शामिल हैं. ऐसे में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी भी मुल्क के सबसे पुरानी चार यूनिवर्सिटियों में शामिल है और इसका नाम नहीं बदला जाना चाहिए.
समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के एमएलसी वासुदेव यादव ने MHRD की इस तजवीज़ की मुखालिफत में मुल्क सदर रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) को खत लिखा है. उनका कहना है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के तलबा मुल्क और दुनियां भर में रहते हैं. यूनिवर्सिटी का नाम बदले जाने पर उसका असर उनकी डिग्री पर भी पड़ेगा. इसके लिए लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. इसमें करोड़ों रुपए खर्च होंगे, लिहाज़ा यह फैसला वापस लेना चाहिए.
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