सरकारी अनदेखी के शिकार MP के वक्फ बोर्ड, हज कमेटी, मदरसा बोर्ड और अल्पसंख्यक आयोग
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सरकारी अनदेखी के शिकार MP के वक्फ बोर्ड, हज कमेटी, मदरसा बोर्ड और अल्पसंख्यक आयोग

ये इदारें पिछले पांच-छह सालों से अध्यक्ष एवं बोर्ड मेंबरों का इंतजार कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव करीब आने वाले है फिर भी सरकार इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है.

वक्फ बोर्ड

भोपाल / डॉ. अनवर खान: मध्यप्रदेश का अल्पसंख्यक विभाग सरकार की अनदेखी का शिकार है. हम बात कर रहे हैं सालों से बगैर अध्यक्ष एवं बोर्ड मेंबरों के  चल रहे एमपी वक्फ बोर्ड, हज कमेटी, मदरसा बोर्ड एवं अल्संख्यक आयोग की. दरअसल, पिछले कई सालों से इन मुस्लिम इदारों में अध्यक्ष और बोर्ड मेंबरों की नियुक्तियां नहीं की जा रही हैं. जबकि कुछ ही महीने पहले प्रदेश सरकार ने तकरीबन 25 निगम मंडलों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों की एक साथ नियुक्तियां कर दी मगर अल्पसंख्यकों से ताल्लुक रखने वाले चार इदारों को नजरअंदाज कर यूं ही खाली छोड़ दिया गया. ये इदारें पिछले पांच-छह सालों से अध्यक्ष एवं बोर्ड मेंबरों का इंतजार कर रहे हैं. विधानसभा चुनाव करीब आने वाले है फिर भी सरकार इनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है.

पांच सालों से बिना अध्यक्ष-सदस्यों के एमपी हज कमेटी
मध्यप्रदेश हज कमेटी पिछले पांच सालों से बिना अध्यक्ष और सदस्यों के चल रही है. इसमें एक अध्यक्ष सहित 12 सदस्य होते हैं, जिनकी नियुक्तियां राज्य सरकार द्वारा की जाती हैं. एमपी में जब वर्ष 2018 के चुनाव के पूर्व भाजपा की सरकार थी तब इंदौर से ताल्लुक रखने वाले इनायत हुसैन कुरैशी को भाजपा ने तीन साल के लिए अध्यक्ष बनाया था, जिनका कार्यकाल वर्ष 2017 में खत्म हो गया था. अन्य सभी सदस्यों के कार्यकाल भी समाप्त हो चुका थे. तब से लेकर आज तक एमपी हज कमेटी पूरी तरह से भंग पड़ी हुई हैं. हज कमेटी नए अध्यक्ष और सदस्यों का इंतजार कर ही है जबकि कुछ ही महीनों बाद हज के लिए हाजियों की हवाई जहाज की उड़ान प्रारंभ होने वाली है.

प्रशासक से चल रहा एमपी वक्फ बोर्ड 
मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड पिछले कई सालों से प्रशासक के हवाले से चल रहा है. वर्तमान में भोपाल के एडीएम दिलीप कुमार यादव प्रशासक बने हुए हैं, जबकि बोर्ड की करोड़ों की सम्पत्तियां संपूर्ण मध्यप्रदेश में फैली हुई हैं. उचित एक्शन लेने वाले अध्यक्ष-सदस्यों के अभाव में दबंग और भूमाफिया बोर्ड की संपत्तियों में बेखौफ कब्जा करते जा रहे हैं. वर्ष 2014-18 में जब भाजपा की सरकार थी तब शौकत मोहम्मद खान को अध्यक्ष और 10 अन्य लोगों का बोर्ड पांच साल के लिए बनाया गया था. खान का कार्यकाल 2018 में समाप्त हुआ तब से आज तक वक्फ बोर्ड नये अध्यक्ष एवं सदस्यों की राह ताक रहा है.
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बिना अध्यक्ष के एमपी मदरसा बोर्ड
मुस्लिम बच्चे एवं बच्चियों की तालीम के लिए स्थापित किया गया एमपी मदरसा बोर्ड भी पिछले पांच सालों से बिना अध्यक्ष और सदस्यों के संचालित है, जिसके कारण मुस्लिम समुदाय में शिक्षा का स्तर सुधरने की बजाय बदतर होता जा रहा है. यहां वर्ष 2017 में सैयद इमाद उद्दीन अध्यक्ष हुआ करते थे. इनके हटने के बाद से वर्ष 2019-20 में कांग्रेस की सरकार न अध्यक्ष की नियुक्ति कर पाई हैं और न ही वर्तमान में भाजपा की सरकार का इस ओर कोई ध्यान गया है. फिलहाल मध्यप्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ही मदरसा बोर्ड के प्रभारी अध्यक्ष बने हुए हैं, जिन्होंने कभी मदरसा बोर्ड की सीढ़ी तक नहीं चढ़ी है.

अध्यक्ष बगैर आयोग, कौन सुने अल्पसंख्यकों की शिकायतें
मध्यप्रदेश अल्पसंख्यक आयोग का गठन अल्पसंख्यकों मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन और पारसी इन पांचों समुदायों की समस्याओं एवं शिकायतों को दूर करने के लिए बनाया गया है. इसमें एक अध्यक्ष और तीन सदस्या होते हैं. अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिलता है वहीं सदस्य राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त होते हैं. यह इदारा भी पिछले तीन सालों से बिना अध्यक्ष और सदस्यों सुनसान पड़ा हुआ है. अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले पीड़ित व्यक्ति यहां अपनी शिकायत लेकर आना तो दूर की बात इसके बारे में सोचते तक नहीं है, जबकि आयोग के पास इनकी शिकायतों का निवारण करने हेतु ज्यूडिशियल जैसे अधिकार प्राप्त है. यहां शिकायतों के सैकड़ों मामले पेंडिग पड़े हुए हैं.
     
कांग्रेस की सरकार ने भी रखा था दोयम दर्जे में
जनवरी 2019 से लेकर मार्च 2020 तक तकरीबन 15 महीने तक कांग्रेस की कमलनाथ सरकार एमपी में रही. उस दौरान भी ये सभी अल्पसंख्यक इदारे खाली पड़े हुए थे, मगर कमलनाथ ने भी इन इदारों में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई थी. यही हाल वर्तमान सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का है, जबकि शिवराज सिंह चौहान ने चार महीने पहले प्रदेश के 15 निगम मंडलों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियां तो कर दी मगर मुस्लिम इदारों को राम भरोसे छोड़ दिया है.

इनका कहना है....
"भाजपा सरकार मुस्लिमों के साथ सौतेला व्यवहार करती है. इसका ये उदाहरण है कि पिछले दो सालों से इनकी सरकार होने के बाद भी अल्पसंख्यक इदारों में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियां नहीं कर रही हैं, जबकि विधानसभा चुनाव भी पास आ चुके हैं अब डेढ़ साला बाद चुनाव की उठापटक प्रारंभ हो जाएगी."
 सैयद साजिद अली, महामंत्री, कांग्रेस भोपाल

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