मुख्तार अंसार नकवी ने कहा कि केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को मेहरम के बिना हज यात्रा का हक दिया है.अल्पसंख्यकों के साथ महिलाओं का सशक्तिकरण भी बहुत जरूरी है.
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नई दिल्ली: सेंट्रल माइनॉरिटी मिनिस्टर मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने शनिवार को कहा कि महिलाओं की आज़ादी, इज्जत, सशक्तिकरण और आईनी बराबरी पर ‘तालिबानी सोच और सनक’ हिंदुस्तान में नहीं चलेगी. उन्होंने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की तरफ से आयोजित "अल्पसंख्यक दिवस" कार्यक्रम में यह टिप्पणी उस की है जब हाल ही में लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल करने के सरकार के फैसले का समाजवादी के सांसदों शफुर्करहमान बर्क और एसटी हसन और कुछ दूसरे लोगों ने मुखालिफत की.
नकवी (Mukhtar Abbas Naqvi) ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि कभी तीन तलाक की बुरी रस्म को रोकने के लिए कानून बनाने का विरोध, कभी मुस्लिम महिलाओं को ‘मेहरम’ (नजदीकी पुरुष रिश्तेदार) के साथ ही हज यात्रा की बाध्यता खत्म करने पर सवाल और अब लड़कियों की शादी की उम्र के मामले में संवैधानिक समानता पर बवाल करने वाले लोग संविधान की मूल भावना के ‘पेशेवर विरोधी’ हैं.
महिलाओं की स्वतंत्रता, सम्मान, सशक्तिकरण एवं संवैधानिक समानता पर तालिबानी सोंच और सनक हिंदुस्तान में नहीं चलेगी। pic.twitter.com/VRhfbBuhiw
— Mukhtar Abbas Naqvi (@naqvimukhtar) December 18, 2021
उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘महिलाओं की स्वतंत्रता, सम्मान, सशक्तिकरण एवं संवैधानिक समानता पर तालिबानी सोच और सनक हिंदुस्तान में नहीं चलेगी.' उनके मुताबिक, "अल्पसंख्यक तुष्टीकरण के राजनीतिक छल" को "समावेशी सशक्तिकरण के राष्ट्रवादी बल" से मोदी सरकार ने खत्म किया है.
उन्होंने कहा कि भारतीय अल्पसंख्यकों की "सुरक्षा, समावेशी समृद्धि एवं सम्मान", "संवैधानिक संकल्प" और भारतीय समाज की "सकारात्मक सोच" का नतीजा है. भारत के बहुसंख्यक समाज की सोच, अपने देश के अल्पसंख्यकों की "सुरक्षा और सम्मान के संस्कार एवं संकल्प" से भरपूर है.'
कभी तीन तलाक की कुरीति-कुप्रथा को कानूनी क्राइम बनाने का विरोध, कभी मुस्लिम महिलाओं को मेहरम के साथ ही हज यात्रा की बाध्यता खत्म करने पर सवाल और अब महिलाओं की शादी की उम्र के मामलें में संवैधानिक समानता पर बवाल करने वाले लोग संविधान की मूल भावना के पेशेवर विरोधी हैं। pic.twitter.com/uASuni5qRe
— Mukhtar Abbas Naqvi (@naqvimukhtar) December 18, 2021
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'मोदी सरकार ने 2014 के बाद 6 अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों- पारसी, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई और मुस्लिम- के 5 करोड़ से ज्यादा छात्रों को स्कालरशिप फराहम की. लाभार्थियों में 50 फीसीद से ज्यादा लड़कियां शामिल हैं. इसके परिणामस्वरूप, मुस्लिम लड़कियों का स्कूल ड्रॉप आउट रेट जो पहले 70 फीसदी था अब घट कर लगभग 30 फीसदी से कम रह गया है आने वाले दिनों में जीरो फीसदी करना हमारा हदफ है.'
‘अल्पसंख्यक दिवस’ कार्यक्रम में अल्पसंख्यक कार्य राज्यमंत्री जॉन बारला, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा, उपाध्यक्ष आतिफ रशीद और कई दूसरे लोग मौजूद थे.
(इनपुट- भाषा)
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