रोड रेज मामले में सिद्धू ने पटियाला की अदालत में किया आत्मसमर्पण; जानिए ,पूरी कार्रवाई
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रोड रेज मामले में सिद्धू ने पटियाला की अदालत में किया आत्मसमर्पण; जानिए ,पूरी कार्रवाई

Navjot Singh Sidhu Surrender: जिस मामले में सिद्धू को 1 साल की जेल हुई है इसी केस में हाई कोर्ट ने साल 2006 में फैसला सुनाते हुए सिद्धू और उनके दोस्त को 3-3 साल की सज़ा सुनाई. साथ ही 1-1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया लेकिन इसके बाद HC के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई और अरुण जेटली ने सिद्धू का केस भी लड़ा था.

फाइल फोटो
फाइल फोटो

Navjot Singh Sidhu:  कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने 1988 के ‘रोड रेज’ मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को यहां एक अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. नवतेज सिंह चीमा सहित पार्टी के कुछ नेता उनके साथ घर से जिला अदालत तक गए.  रोड रेज मामले में सज़ा पाने वाले कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को पटिलाया कोर्ट में सरेंडर करना था लेकिन उन्होंने सेहत का हवाला देते हुए सरेंडर में राहत की सुप्रीम कोर्ट में अर्ज़ी लगाई थी और तुरंत सुनवाई की मांग की थी हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने इसकी इजाज़त नहीं दी. सिद्धू के वकील अभुषेक मनु सिंघवी ने जैसे ही तुरंत सुनवाई की मांग तो चीफ जस्टिस ने इसकी इजाज़त नहीं देते हुए कहा कि वह पहले रजिस्ट्री के पास जाकर अर्ज़ी दें. 

क्या था मामला
दरअसल यह मामला तीन दहाई पुराना है. उस समय नवजोत सिंह सिद्धू का सियासत से कोई लेना देना नहीं था, वो भारतीय टीम के क्रिकेटर थे.  उन्हें नेशनल टीम का हिस्सा बने हुए करीब 1 साल हो गया था. बात 27 दिसंबर 1988 की है. जब सिद्धू अपने एक दोस्त के साथ पटियाला के शेरावा गेट के बाजार गए थे. 

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इस बाज़ार में सिद्धू का एक 65 बरस के बुजु़र्ग गुरनाम सिंह पार्किंग को लेकर झगड़ा हो गया था. झगड़ा यहां तक पहुंच गया था कि सिद्धू ने उन्हें घुटने के ज़रिए नीचे गिरा दिया. जिसके बाद 65 वर्षीय बुजुर्ग की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी. पोस्टमार्टम के बाद पता चला कि बुजुर्ग की मौत हार्ट अटैक की वजह से हुई है. इसम मामले में सिद्धू के खिलाफ गैर इरादतन कत्ल का मामला दर्ज हुआ था. 

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अदालती कार्रवाई
➤ 1999 में सेशन अदालत ने खारिज कर दिया था. 
➤ 2002 में यह मामला हाई कोर्ट गया. पंजाब सरकार ने सिद्धू के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की. 
➤ 2004 में सिद्धू क्रिकेट छोड़कर सियासत में हाथ आज़माने आ चुके थे और वो अमृतसर भाजपा के टिकट पर चुनाव भी जीत चुके गए थे. 
➤ 2006 में हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए सिद्धू और उनके दोस्त को 3-3 साल की सज़ा सुनाई. साथ ही 1-1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया. 
➤ इसके बाद देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई. उस वक्त के भाजपा के दिग्गज नेता और वकील अरुण जेतली ने उनका केस लड़ा था. सुनवाई के दौरान SC ने HC के फैसले पर रोक लगा दी थी. 
➤ सुप्रीम कोर्ट ने भी सिद्धू और उनके दोस्त को सभी आरोपों से बरी कर दिया था. लेकिन फिर से पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई. जिसके बाद अदालत का यह फैसला आया है. 

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