शोएब और आकांक्षा के बराबर नंबर आने के बावजूद अलग-अलग रैंक मिलने की वजह नीट की टाई ब्रेकर पॉलिसी है.
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नई दिल्ली: नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने शुक्रवार को NEET 2020 के नतीजों का ऐलान कर दिया है. जिसमें पहली रैंक पर शोएब आफताब और दूसरी रैंक पर दिल्ली की आकांक्षा सिंह ने 100 फीसद नंबर हासिल किए. नीट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी ने 720 में से 720 नंबर हासिल किए हों लेकिन सवाल यहां यह उठता है कि जब स्टूडेंट्स ने 100 फीसद नंबर हासिल किए हैं तो उनकी रैंक अलग-अलग क्यों है. तो आइए हम आपको बताते हैं कि ऐसा क्यों हुआ है.
शोएब और आकांक्षा के बराबर नंबर आने के बावजूद अलग-अलग रैंक मिलने की वजह नीट की टाई ब्रेकर पॉलिसी है. इसके मुताबिक दो या दो से ज्यादा स्टूडेंट्स अगर बराबर नंबर हासिल लेते हैं तो टॉपर का फैसला तीन तरीकों से किया जाता है.
1. पहला तरीका है कि जिसकी उम्र ज्यादा होगी उसको रैंक में पहल दी जाती है.
2. हर सब्जेक्ट में दोनों को मिले नंबरों की बुनियाद पर भी फैसला होता है.
3. गलत जवाबों की संख्या जिसकी कम रहेगी उसकी रैंक आगे रहेगी.
यहां पर शोएब की उम्र ज्यादा होने की वजह से उन्हें ऑल इंडिया में रैंक वन और आकांक्षा को दूसरी रैंक मिली है.
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