नूर जान बेगम एक गरीब परिवार से तअल्लुक रखती है और पुंछ जिले के सरहदी गांव दुनू की रहने वाली हैं. उनका शौहर पुंछ में मज़दूरी कर के किसी तरह परिवार को चला रहा था
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श्रीनगर: अब जम्मू कश्मीर बदलाव की तरफ बढ़ रहा है. अब ख्वातीन भी खुदकफील बनकर एक नई मिसाल पेश कर रही हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया पुंछ जिले के सरहदी गांव दुनू की रहने वाली नूरजान बेगम ने. दरअसल जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले की नूर जान बेगम ने आत्मनिर्भरता की मिसाल देते हुए जिले की पहली खातून ट्रक ड्राइवर बनकर नई मिसाल पेश की है. नूर जान बेगम दूर दराज के पहाड़ी इलाकों में जाकर लोगों को रोज़मर्रा की ज़रूरत से जुड़ा सामान पहुंचाती हैं.
नूर जान अपने शौहर के साथ पुंछ शहर आ कर रहने लगी. यहीं से नूर जान ने खुदकफील बनने का इरादा किया और उस ने बैंक से लोन ले कर अपना काम शुरू किया. पहले एक छोटी सी दुकान रखी फिर धीरे-धीरे काम बढ़ता गया और अब नूर जान ने अपना एक मिनी ट्रक रखा हुआ है और उसी को लेकर गांव-गांव जाकर अपना सामान बेचती है.
गांव के दुकानदारों का कहना है की पहले हमें सामान लेने के लिए पुंछ शहर जाना पड़ता था. जिससे हमे पूरा दिन लग जाता था अब सामान हमें दुकान पर ही मिल जाता है इस से हम खुश हैं.
नूर जान बेगम ने ज़ी मीडिया से बात करते हुए कहा की मैंने जब वज़ीरे आज़म नरेंद्र मोदी से सुना कि अब ख्वातीन भी किसी से कम नहीं हैं. अब ख्वातीन भी हर काम कर सकती हैं. बस फिर मैंने भी अपना काम शुरू कर दिया है और मुझे खुशी है. उन्होंने आगे बताया कि मेरे शौहर गाड़ी नहीं चला सकते है लेकिन मैं गाड़ी चला कर कहीं भी किसी भी पहाड़ी रस्ते आ जा सकती हूं और आज मेरा काम अच्छा चल रहा है. वहीं नूर जान बाकी ख्वातीन के लिए मिसाल बन गई हैं. नूर जान का कहना है की ख्वातीन को भी आगे बढ़ कर काम करना चाहिए.
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