भारत के इस संगठन ने अपने राज्य के लिए अलग झंडे और संविधान की मांग की
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भारत के इस संगठन ने अपने राज्य के लिए अलग झंडे और संविधान की मांग की

इस बीच नगा वार्ता में सरकार के प्रतिनिधि ए के मिश्रा ने शुक्रवार को नई दिल्ली में नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (NNPG) की कार्यसमिति के सदस्यों के साथ बैठक की.

अलामती तस्वीर

कोहिमाः सरकार के साथ शांति वार्ता पर अपना रूख सख्त करते हुए नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम ( NSCN -IM) ने कहा है कि अलग नगा झंडे और संविधान की मांग पर उसका रूख अडिग है क्योंकि ये नगा राजनीतिक संघर्ष एवं पहचान के अलामत हैं. दशकों पुराने नगा राजनीतिक मुद्दे का समाधान तलाशने के लिए करीब दो साल के वकफे के बाद वार्ता बहाल करने वाले एनएसीआईएन-आईएम ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि समस्या की ‘‘जड़ें भारत की उस दुर्भावनापूर्ण खुशी में छुपी हुई हैं जो नगा लोगों के ऐतिहासिक और राजनीतिक अधिकारों का उल्लंघन करती है.’’ 

नई दिल्ली में हुई सरकार और नगा समूह ग्रुम में वार्ता 
इस बीच नगा वार्ता में सरकार के प्रतिनिधि ए के मिश्रा ने शुक्रवार को नई दिल्ली में नगा नेशनल पॉलिटिकल ग्रुप्स (NNPG) की कार्यसमिति के सदस्यों के साथ बैठक की. एनएनपीजी की मीडिया शाखा ने एक बयान जारी करके यह जानकारी दी. यह एनएससीएन-आईएम के विरोधी सात संगठनों का प्रतिनिधित्व करता है. उसने कहा कि यह संवाद सौहार्दपूर्ण था जहां दोनों पक्षों ने निरंतरता एवं उद्देश्य के प्रति कटिबद्धता दिखायी और चीजें वहां से आगे बढ़ीं जहां पूर्व वार्ताकार आर एन रवि इस वार्ता से हटे थे.’’ उसने कहा कि निकट भविष्य में भी चर्चा जारी रहेगी और स्थायी संबंध की बारीकियां तैयार की जाएंगी.

केंद्र पर विभाजनकारी नीति अपनाने का इल्जाम लगाया
अपना रूख सख्त करते हुए हालांकि एनएससीएन-आईएम ने कहा कि नगा झंडा और येहजाबो (संविधान) का मुद्दा इस पुरानी समस्या के हल की राह में रोड़ा है और उसने केंद्र पर विभाजनकारी नीति अपनाने का इल्जाम लगाया. उसने एनएनपीजी और सरकार के वार्ताकार के बीच की वार्ता का हवाला देते हुए कहा कि विडंबना है जब मुद्दा संभालना मुश्किल हो गया तब भारत सरकार नगा राजनीतिक समस्या का हल तलाशने के नाम पर विभाजनकारी नीति और चापलूसी का रास्ता अपनाने लगी. 

नगा झंडे पर कभी समझौता नहीं किया जा सकता
एनएससीएन-आईएम ने कहा कि भारत-नगा राजनीतिक मुद्दे का इतिहास हमारे सामने बिल्कुल स्पष्ट है और जो समझौतें एवं संधियां की गई हैं, वे सही मायने मे लागू करने के लिए थीं ही नहीं. दैवीय मूल से संबंधित नगा झंडे पर कभी समझौता नहीं किया जा सकता. ’’एनएससीएन -आईएम ने तीन अगस्त, 2015 के भारत सरकार के साथ एक समझौता-ढांचे पर दस्तख्त किए थे लेकिन उस समझौते ने अबतक अंतिम रूप नहीं लिया. 

 

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