Pakdwa Vivah on SC: पिछले साल नवंबर 2023 में पटना हाईकोर्ट के जस्टिस पी बी बजंथरी और अरुण कुमार झा की पीठ ने कहा था कि शादी का पारंपरिक हिंदू रूप 'सप्तपदी' और 'दत्त होम' के अभाव में वैध शादी नहीं है.
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Pakdwa Vivah on SC: सुप्रीम कोर्ट ने कथित 'पकड़ौआ विवाह' को रद्द करने के पटना हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. जस्टिस हिमा कोहली और अमानुल्लाह की पीठ ने 3 जनवरी को आदेश दिया कि अगले आदेश तक, HC के आदेश पर रोक रहेगी.
पिछले साल नवंबर 2023 में पटना हाईकोर्ट के जस्टिस पी बी बजंथरी और अरुण कुमार झा की पीठ ने कहा था कि शादी का पारंपरिक हिंदू रूप 'सप्तपदी' और 'दत्त होम' के अभाव में वैध शादी नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा था कि यदि 'सप्तपदी' पूरी नहीं हुई है, तो विवाह पूर्ण और बाध्यकारी नहीं माना जाएगा.
दोनों पक्ष ने दी थी ये दलील
हाईकोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में, अपीलकर्ता ने तर्क दिया था कि बंदूक की नोक पर शादी के लिए मजबूर किया गया था और उसे बिना किसी मजहबी या आध्यात्मिक पूजा-पाठ के लड़की के माथे पर सिंदूर लगाने के लिए मजबूर किया गया था. वहीं दूसरी तरफ लड़की ने कहा था कि उनकी शादी जून 2013 में हिंदू रीति-रिवाजों के तहत हुई थी और शादी के वक्त उसके पिता ने उपहार में सोना, 10 लाख रुपये नगद और दूसेर सामग्री दी थी.
क्या होता है 'पकड़ौआ विवाह'?
'पकड़ौआ विवाह' में लड़कों को अपहरण करके या बहला-फुसलाकर बंधक बना लिया जाता है और फिर रीति-रिवाजों और परंपराओं के मुताबिक, लड़की से शादी की जाती है और दूल्हा-दुल्हन बनने वाले लड़के और लड़की की इच्छाओं का कोई महत्व नहीं होता है. वरिष्ठ नागरिकों के मुताबिक इसका मुख्य वजह यह था कि दहेज देने में असमर्थता के कारण लोग अपनी बेटियों की शादी नौकरी पेशा पुरुषों से नहीं कर पाते थे, लेकिन वे अपनी बेटियों की शादी एक अच्छे परिवार में करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने इस तरह की शादी की शुरुआत की थी.
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