Jaipur: पाकिस्तान के मरीज़ नासिर अहमद को TAVI से मिला नया जीवन; जयपुर में हुआ इलाज
Pakistani Patient: राजस्थान के जयपुर के एक अस्पताल में टीएवीआई प्रक्रिया से पाकिस्तानी मरीज़ को नई ज़िंदगी मिली. दरअसल पाकिस्तान के 65 साल के नासिर अहमद जयपुर के आरएचएल-राजस्थान अस्पताल में ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (TAVI) प्रक्रिया हुई.
Pakistani Patient Treatment Jaipur: राजस्थान के जयपुर के एक अस्पताल में टीएवीआई प्रक्रिया से पाकिस्तानी मरीज़ को नई ज़िंदगी मिली. दरअसल पाकिस्तान के 65 साल के नासिर अहमद जयपुर के आरएचएल-राजस्थान अस्पताल में ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (TAVI) प्रक्रिया हुई, जो कि तक़रीबन नामुमकिन थी क्योंकि डॉक्टरों ने एक साल से भी कम वक़्त में उनकी दूसरी ओपन हार्ट सर्जरी से इनकार कर दिया था. टीएवीआई के विशेषज्ञ डॉ रवींद्र सिंह राव ने कहा कि मरीज़ इस प्रक्रिया के पांच दिन बाद ही पाकिस्तान वापस चला गया. कराची से राजस्थान अस्पताल पहुंचने पर नासिर अहमद का राव और डॉक्टरों की एक टीम ने फिर से पुनर्मूल्यांकन किया गया.
ओपन हार्ट सर्जरी की ज़रूरत नहीं पड़ी: डॉक्टर
डॉ राव ने कहा, माइट्रल वाल्व में रिसाव का आकंलन करने के लिए एक 3 डी टीईई परीक्षण किया गया था और मरीज़ को वाल्व के पूर्ववर्ती पत्रक (पर्दे) में 3.5 मिमी छिद्र दोष का पता चला था. उन्होंने कहा, इस का उपचार करना आसान नहीं है क्योंकि इस दोष में प्रत्यारोपित कोई भी उपकरण वाल्व की गतिशीलता और कार्य को प्रभावित कर सकता है. मरीज़ को कैथ लैब में लाया गया और वाल्व रिसाव की पहचान करने के लिए एंजियोग्राफी की गई. इसे कामयाब तरीक़े के साथ एक डिवाइस से बंद कर दिया गया और मरीज़ के ओपन हार्ट सर्जरी की ज़रूरत नहीं पड़ी.
बेहद अच्छे तरीक़े से मेरा इलाज किया: नासिर
अपने इलाज के बारे में नासिर अहमद ने बताया कि हमने इंटरनेट के ज़रिए से ब्राउज़ करना शुरू कर दिया और तभी हम डॉ. रवींद्र सिंह राव से मिले, जिन्होंने हमें भरोसा दिया कि टीएवीआई मेरे लिए सुरक्षित है. उन्होंने कहा, अस्पताल में कर्मचारी और डॉक्टर ने बेहद अच्छे तरीक़े से मेरा इलाज किया और हमें ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा कि हम एक अलग देश में हैं. वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन ने बताया कि पांच दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वह वापस कराची चले गए. बता दें कि टीएवीआई एक न्यूनतम इनवेसिव गैर-सर्जिकल प्रक्रिया है जो डॉक्टरों को रोगी की छाती को खोले बिना दिल में एक वाल्व को बदलने की परमिशन देती है.
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