लोकसभा में शहीदों को पेश की गई ख़िराज-ए-अक़ीदत, संसद अटैक बरसी पर क्या बोले LS स्पीकर ओम बिरला
Parliament Attack Anniversary: साल 2001 में 13 दिसंबर को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के दहशतगर्दों ने संसद पर हमला किया था. इस हमले में आतंकवादियों का मुकाबला करते 8 सुरक्षाबलों की मौत हो गई थी. जबकि 15 से ज्यादा दूसरे जख्मी हुए थे.
Parliament Attack Anniversary: 13 दिसंबर 2001 को पार्लियामेंट पर दहशतगर्दों ने हमला किया था. इस हमले में 9 लोग मारे गए थे. जबकि 15 दूसरे जख्मी हो गए थे. वहीं, सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में 5 आतंकवादी मारे गए थे. इस हमले की बरसी के मौके पर लोकसभा में आज यानी 13 दिसंबर को शहीदों को ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश की गई है और उनके बलिदान को याद किया गया है.
लोकसभा में शहीदों को पेश की गई ख़िराज-ए-अक़ीदत
आज 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने पार्लियामेंट अटैक के शहीदों को याद किया और सदस्यों ने कुछ पल मौन रखकर उन्हें ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश की. इस मौके पर लोकसभा स्पीकर ने कहा, ‘‘आज यह सदन और देश 13 दिसंबर, 2001 की उस दुखद घटना को गहरी हमदर्दी के साथ याद कर रहा है, जब कुछ दहशतगर्दों ने भारत की संसद पर हमला किया गया था. संसद की सुरक्षा में तैनात हमारे सुरक्षा बलों ने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए हमले को विफल कर दिया था.’’
शहीदों को किया याद
उन्होंने कहा, ‘‘दहशतगर्दों के हमले का बहादुरी से सामना करते हुए पार्लियामेंट सिक्योरिटी फोर्स, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के आठ सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे. इसके अलावा केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के एक कर्मचारी भी शहीद हुए थे. यह सदन वीरगति को प्राप्त सभी शहीदों के सर्वोच्च बलिदान के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता है और उनके परिवारजन के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता है.’’
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘इस मौके पर हम दहशतगर्द का मुकाबला करने के लिए अपने संकल्प को दोबारा दोहराते हैं और अपनी मातृभूमि की एकता, अखंडता और संप्रुभता की रक्षा के अपने संकल्प की की तस्दीक करते हैं.’’
हमले के मास्टरमाइंड अफ़ज़ल गुरु को फांसी की सजा
साल 2001 में 13 दिसंबर को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के दहशतगर्दों ने संसद पर हमला किया था. इस हमले में आतंकवादियों का मुकाबला करते हुए दिल्ली पुलिस के पांच जवान, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की एक महिला कर्मी और संसद के दो कर्मी शहीद हुए थे. एक अन्य कर्मचारी और एक कैमरामैन की भी हमले में मौत हो गई थी. जबकि 15 लोग जख्मी हो गए थे. इस हमले की हमले के मास्टरमाइंड अफ़ज़ल गुरु को 9 फ़रवरी 2013 को मौत की सज़ा दी गई.