नई दिल्लीः घर-घर लोगों को साफ पानी पहुंचाने की सरकार की महत्वाकांक्षी नलजल योजना बुरी तरह असफल साबित हुई है. जनता कहीं बूंद-बूंद के लिए तरस रही है, तो हीं दूषित और गंदा पानी पीने को मजबूर है, लेकिन सरकारें हैं कि उसे इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है. अगर फर्क पड़ता तो नलजल का पैसा बिना काम के यूं ही लौट नहीं जाता. संसद की एक समिति ने जल जीवन मिशन के तहत ग्रामीण घरों में नल से जल कनेक्शन प्रदान करने की योजना के कार्यान्वयन को लेकर चिंता व्यक्त की है और केंद्र से राज्य सरकारों पर उपयुक्त कदम उठाने के लिए दबाव बनाने को कहा है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्या है जल जीवन मिशन ?
लोकसभा में बुधवार को पेश जल संसाधन संबंधी स्थाई समिति की वर्ष 2022-23 के लिए अनुदान की मांगों से जुड़ी रिपोर्ट में यह बात कही गई है. जल जीवन मिशन की घोषणा 2019 में की गई थी ताकि 2024 तक कार्यात्मक घरेलू कनेक्शन के माध्यम से निश्चित एवं स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति की जा सके. 

46.48 प्रतिशत को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति हो रही
इसमें कहा गया कि आज की तारीख तक 8.96 करोड़ ग्रामीण परिवारों (46.48 प्रतिशत) को स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति हो रही है. समिति ने इस संबंध में पश्चिम बंगाल, केरल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, असम, झारखंड, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे बड़े राज्यों की स्थिति को देखकर चिंता व्यक्त की, जहां 40 प्रतिशत से कम परिवारों को कार्यात्मक घरेलू जल कनेक्शन (एचएचटीसी) प्रदान किया गया है.

वर्ष 2022-23 में कम कर दिया गया इसका बजट 
रिपोर्ट के मुताबिक, समिति ने कहा है कि पेयजल स्वच्छता विभाग की 91,258 करोड़ रूपये की राशि के आवंटन की मांग की तुलना में वर्ष 2022-23 के लिये केवल 60 हजार करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं. यह ध्यान में रखते हुए कि लगभग 53.52 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को अभी भी विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के कार्यात्मक घरेलू कनेक्शन की जरूरत है, वर्ष 2022-23 के लिए जल जीवन मिशन के तहत आवंटन अपर्याप्त प्रतीत होता है क्योंकि प्रदान की गई बजटीय सहायता प्रारंभिक मांग की तुलना में 31,258 करोड़ रूपये कम है.

समिति ने विभागों से वजट बढ़ाने का किया अनुरोध 
इसमें कहा गया है कि समिति विभाग से अनुरोध करती है कि वह आवंटित निधियों का यथासंभव उपयोग करने का प्रयास करे ताकि उसके पास संशोधित अनुमानों के स्तर पर अतिरिक्त निधियों की मांग करने का पर्याप्त औचित्य हो. समिति ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान जल जीवन मिशन के तहत बजट आवंटन के चरण में 50,011 करोड रुपए आवंटित किए गए थे, इसे संशोधित अनुमान के चरण में घटाकर 45,011 करोड़ रुपए कर दिया गया था जबकि वास्तविक स्तर पर व्यय केवल 28,238 करोड़ रूपये था.

स्वच्छ जल प्रदान करने में किस राज्य का कैसा रहा प्रदर्शन 
रिपोर्ट के अनुसार, राज्यवार वित्तीय निष्पादन का विश्लेषण करते हुए समिति ने पाया कि केवल 3 राज्यों हिमाचल प्रदेश, मणिपुर और मेघालय ने निधियों के केंद्रीय आवंटन का शत-प्रतिशत उपयोग किया. वहीं, गुजरात, केरल, सिक्किम, नगालैंड, आसम, ओडिशा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और मिजोरम में केवल 50 से 75 प्रतिशत का उपयोग किया. इसमें कहा गया है कि समिति को यह जानकर आश्चर्य होता है कि कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने केंद्रीय आवंटन के 25 प्रतिशत से कम राशि का उपयोग किया.

वित्तीय विवेक और राजकोषीय अनुशासन की कमी
समिति निधियों के कम उपयोग से निराश है और यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वित्तीय विवेक और राजकोषीय अनुशासन की कमी रही है. रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा है कि इससे समग्र रूप से कार्यक्रम के कार्यान्वयन पर निगरानी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है और यह निःसंदेह लक्षित लाभार्थियों को उनके घरों में सुरक्षित और स्वच्छ पेयजल पहुंचाने से वंचित करता है. 


Zee Salaam Live Tv