पश्चिम बंगाल हुकूमत ने आला अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायामूर्ति मदन बी लोकुर और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योतिर्मय भट्टाचार्य को जांच आयोग का सदस्य बनाया है.
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस अर्जी पर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किये जिसमें पेगासस जासूसी के इलज़ामों की तफ्तीश करने के लिए जांच आयोग गठित करने के रियासती हुकूमत के फैसले को चुनौती दी गई है.
चीफ जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरूद्ध बोस की तीन सदस्यीय पीठ ने अर्जी पर केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किए और इस मामले को 25 अगस्त को सुनवाई के लिए दर्ज कर दिया.
याची की ओर से पेश हुए वकील सौरभ मिश्रा ने पीठ से कहा कि उन्होंने रियासती हुकूमत द्वारा जांच आयोग के गठन के लिए जारी अधिसूचना को उसके अधिकार क्षेत्र के आधार पर चुनौती दी है. पीठ ने कहा, 'हम नोटिस जारी कर रहे हैं.'
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पश्चिम बंगाल हुकूमत ने आला अदालत के पूर्व न्यायाधीश न्यायामूर्ति मदन बी लोकुर और कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ज्योतिर्मय भट्टाचार्य को जांच आयोग का सदस्य बनाया है. इस आयोग के गठन की घोषणा राज्य सरकार ने पिछले महीने की थी.
अंतरराष्ट्रीय मीडिया के एक संघ ने खबर दी है कि भारत के 300 से ज्यादा तसदीक शुदा फोन नंबर उस सूची में शामिल थे जिन्हें पेगासस स्पाईवेयर का इस्तेमाल कर निगरानी के लिए संभावित रूप से रखा गया था.
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क्या है पेगासस केस
पेगासस एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो मुअल्लिका फोन पर आने-जाने वाले हर कॉल का ब्योरा जुटाने में अहल है. यह फोन में मौजूद मीडिया फाइल और दस्तावेजों के अलावा उस पर आने-जाने वाले एसएमएस, ईमेल और सोशल मीडिया मैसेज की भी जानकारी दे सकता है.
(इनपुट- भाषा)
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